जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पेंशन डायरी का नवीनीकरण नहीं होने पर मेडिकल बिल का पुनर्भरण करने से इनकार करने के मामले में पेंशनर को राहत दी है. अदालत ने पेंशन निदेशक और करौली कोषाधिकारी सहित अन्य को आदेश दिए हैं कि वह इलाज में खर्च 1 लाख 72 हजार 766 रुपए की राशि तीन माह में पेंशनर को अदा करें. अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि यदि तय अवधि में भुगतान नहीं किया जाता है तो फिर 9 फीसदी ब्याज सहित राशि देनी होगी. जस्टिस अनूप कुमार ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश पूरणमल शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता राज्य सरकार का रिटायर कर्मचारी है. जुलाई 2008 में याचिकाकर्ता की पत्नी की तबीयत खराब होने पर उसे निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान उसके हार्ट का पीटीसीए और स्टंट लगाया गया. इसमें करीब 1 लाख 72 हजार 766 रुपए का खर्च आया था. इस मेडिकल बिल के पुनर्भरण के लिए जब याचिकाकर्ता ने कोष कार्यालय में आवेदन किया तो यह कहते हुए क्लेम खारिज कर दिया कि उसने इलाज के बाद अपनी मेडिकल डायरी का नवीनीकरण कराया है.