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Rajasthan High Court: एसीएस पंचायती राज पेश होकर बताएं क्यों नहीं की आदेश की पालना ?

राजस्थान हाईकोर्ट ने एलडीसी भर्ती 2013 से जुड़े मामले में अदालती आदेश की पालना नहीं करने पर एसीएस पंचायती राज को हाजिर होने के आदेश दिए हैं.

Rajasthan High Court,  High Court expressed displeasure
राजस्थान हाईकोर्ट.

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 13, 2023, 8:15 PM IST

जयपुर.राजस्थान हाईकोर्ट ने एलडीसी भर्ती-2013 से जुड़े मामले में अदालती आदेश की पालना नहीं करने पर नाराजगी जताई है. इसके साथ ही अदालत ने अतिरिक्त मुख्य पंचायती राज सचिव को 21 सितंबर को अदालत में हाजिर होने के आदेश दिए हैं. अदालत ने एसीएस से पूछा है कि अदालती आदेश के 16 माह बाद भी अब तक पालना क्यों नहीं की गई है.

अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि यदि इस दौरान आदेश की पालना हो जाती है तो एसीएस को कोर्ट में पेश होने की जरूरत नहीं है. जस्टिस महेंद्र कुमार गोयल की एकलपीठ ने यह आदेश उषा बडगोतिया की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता एसएस राघव ने आदेश की पालना के लिए समय मांगा. वहीं याचिकाकर्ता की ओर से इसका विरोध करते हुए कहा गया कि लंबा समय बीतने के बाद भी राज्य सरकार ने अब तक पालना नहीं की है. ऐसे में अवमाननाकर्ता अफसर को अदालत में तलब किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने आदेश की पालना नहीं होने पर एसीएस पंचायती राज को 21 सितंबर को हाजिर होकर अपना स्पष्टीकरण देने को कहा है.

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अवमानना याचिका में अधिवक्ता रमाकांत गौतम ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने वर्ष 2013 में एलडीसी भर्ती निकाली थी. राज्य सरकार ने 2013 में ही कुछ अभ्यर्थियों को नियुक्ति दे दी, जबकि याचिकाकर्ता को वर्ष 2017 में एलडीसी पद पर नियुक्ति दी गई. इस पर याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर वर्ष 2013 से ही समस्त परिलाभ दिलाने की गुहार की. याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि बाद में नियुक्ति मिलने के कारण वह समान भर्ती में चयनित दूसरे अभ्यर्थियों से वरिष्ठता में जूनियर हो गया है. इसलिए उसे परिलाभ दिलाए जाएं, जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने 5 मई 2022 को याचिकाकर्ता को समस्त परिलाभ देने के आदेश दिए. अवमानना याचिका में कहा गया कि आदेश की पालना में उसे परिलाभ देने के आदेश जारी किए गए, लेकिन इस आदेश को अगले ही दिन वापस ले लिया गया. ऐसे में अदालती आदेश की अवमानना करने वाले अफसरों को दंडित किया जाए.

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