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Rajasthan High Court: आदेश की पालना करो, वरना सजा सुनने के लिए हाजिर हो आयुक्त और सीईओ

राजस्थान हाईकोर्ट ने अदालती आदेश की 6 साल में भी (High Court expressed displeasure ) पालना नहीं करने पर नाराजगी जताई है. साथ ही 10 हजार रुपए का हर्जाना लगाते हुए आदेश की पालना के लिए समय दिया है.

Rajasthan High Court,  High Court expressed displeasure
राजस्थान हाईकोर्ट ने दिए आदेश.

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Published : Jul 14, 2023, 6:47 PM IST

जयपुर.राजस्थान हाईकोर्ट ने अदालती आदेश की छह साल में भी पालना नहीं होने पर कड़ी नाराजगी जताई है. अदालत ने कहा कि पेंशन राशि के एरियर पर ब्याज देने के संबंध में अदालत ने मई 2017 को आदेश पारित किया था, लेकिन यह बड़े आश्चर्य और दुख की बात है कि इस आदेश की अब तक पालना नहीं की गई है. इसके साथ ही अदालत ने दस हजार रुपए का हर्जाना देने की शर्त पर राज्य सरकार को आदेश की पालना के लिए समय दिया है. अदालत ने कहा कि यदि अब भी आदेश की पालना नहीं होती है तो पंचायती राज आयुक्त और अजमेर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी 17 जुलाई को सजा सुनने के लिए अदालत में हाजिर रहें. जस्टिस महेन्द्र गोयल की एकलपीठ ने यह आदेश बहादुर सिंह खींची की ओर से दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से आदेश की पालना के लिए एक बार फिर समय मांगा गया. इस पर अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा कि अदालती आदेश की पालना नहीं करने पर वर्ष 2018 में अवमानना याचिका पेश की गई थी, लेकिन विभाग ने अब तक पालना नहीं की है. वहीं हर बार जवाब के लिए समय मांग लिया जाता है. ऐसे में दस हजार रुपए का हर्जाना जमा कराने की शर्त पर समय दिया जा रहा है. यदि अब भी पालना नहीं हुई तो कोर्ट अफसरों को अदालती आदेश की अवमानना के लिए सजा सुनाएगा.

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अवमानना याचिका में अधिवक्ता मनोज पारीक ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता वर्ष 2008 में अजमेर जिले की पंचायत समिति से सेवानिवृत्त हुआ था. उसने नवंबर 2012 को वर्ष 2008 से लेकर बाद की अवधि की ब्याज सहित सीपीएफ की राशि जमा करा दी थी. वहीं, उसे अगस्त 2013 से पेंशन दी गई, लेकिन एरियर राशि का ब्याज अदा नहीं किया. इस पर उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 18 मई 2017 को आदेश जारी कर पांचवें वेतन आयोग के तहत एरियर राशि का पुननिर्धारण कर तीन माह में बकाया भुगतान करने को कहा था. तय अवधि में आदेश की पालना नहीं होने पर याचिकाकर्ता ने अवमानना याचिका पेश की, लेकिन विभाग अब तक आदेश की पालना नहीं कर रहा है.

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