जयपुर.राजस्थान हाईकोर्ट ने ईएसआईसी के चिकित्सकों के तबादले से जुडे़ मामले में केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण को नसीहत दी है. अदालत ने अधिकरण को कहा है कि एक समान प्रकरणों में अलग-अलग फैसला देना उचित नहीं है. अदालत ने कहा की जब एक समान तथ्यों व परिस्थितियों के आधार पर अन्य चिकित्सक पक्षकारों को राहत दी है तो ऐसे में याचिकाकर्ता का प्रार्थना पत्र खारिज करना गलत है.
वहीं अदालत ने अधिकरण के गत 14 दिसंबर के आदेश को रद्द करते हुए याचिकाकर्ता के 20 मई 2023 के ट्रांसफर आदेश की क्रियान्विति पर उसके बच्चों के शैक्षणिक सत्र पूरा होने की अवधि मार्च 2024 तक रोक लगा दी. अदालत ने केन्द्र सरकार को कहा है कि वह याचिकाकर्ता को पुरानी जगह पर ही पदस्थापित करे. जस्टिस अरुण भंसाली व नरेन्द्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश डॉ. दिलीप कुमार शर्मा की याचिका को मंजूर करते हुए दिए.
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याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विजय पाठक ने बताया कि ईएसआईसी हॉस्पिटल में कार्यरत याचिकाकर्ता चिकित्सक का तबादला गत 20 मई को गुरुग्राम कर दिया. इस पर याचिकाकर्ता ने अपने भाई के कैंसर होने, पिता के बुजुर्ग होने और बच्चों की पढाई बाधित होने का हवाला देते हुए कमेटी से तबादला आदेश रोकने का आग्रह किया, लेकिन कमेटी ने उसका प्रतिवेदन खारिज कर दिया. इस पर याचिकाकर्ता ने इन्हीं आधारों पर केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण में अपील दायर की, लेकिन अधिकरण ने भी उसकी अपील खारिज कर दी. इसे हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि अधिकरण ने उसके समान ही अन्य चार अपीलों में उनके बच्चों की पढाई के आधार पर अकादमिक सत्र पूरा होने तक उन्हें जयपुर में ही कार्यरत रखने का निर्देश दिया है. इन मामलों में अधिकरण के मेंबर समान ही हैं. याचिकाकर्ता का मामला भी इनसे अलग नहीं है, इसलिए उसके तबादला आदेश पर रोक लगाई जाए. इस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को राहत देते हुए अधिकरण को नसीहत दी है.