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कर्नाटक का फैसला हुआ अब राजस्थान की बारी, पायलट रहेंगे या जाएंगे सबकी नजर कांग्रेस आलाकमान पर - Rajasthan congress gehlot vs pilot

कर्नाटक में सिद्धरमैया को मुख्यमंत्री नियक्त करके पार्टी ने कर्नाटक में रिजल्ट के बाद चली आ रही घमासान को पार्टी हाईकमान ने हल कर दिया है. इसके साथ ही राजस्थान के नेताओं की नजर पार्टी आलाकमान पर है कि कब वे प्रदेश में जारी गहलोत बनाम पायलट युद्ध का पटाक्षेप करेंगे.

राजस्थान में गहलोत बनाम पायलट
राजस्थान में गहलोत बनाम पायलट

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Published : May 18, 2023, 2:19 PM IST

जयपुर. कर्नाटक में कौन बनेगा मुख्यमंत्री को लेकर कर्नाटक के साथ ही राजस्थान कांग्रेस में भी उत्सुकता बनी थी. उत्सुकता इसलिए थी कर्नाटक में मुख्यमंत्री का फैसला हो जाने के बाद ही राजस्थान कांग्रेस में जारी गहलोत और पायलट के बीच राजनीतिक द्वंद का अंत हो सके. अब कर्नाटक में फैसला हो चुका है कि सिद्धारमैया कर्नाटक के अगले मुख्यमंत्री होंगे तो हर किसी की नजर राजस्थान पर है, जहां सचिन पायलट अपनी तीन मांगे पूरी करने को लेकर अपनी ही गहलोत सरकार को 15 दिन का अल्टीमेटम दे चुके हैं. कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने साफ कर दिया था कि सचिन पायलट के मामले को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे देख रहे हैं. जब तक कर्नाटक का फैसला नहीं होता है तब तक राजस्थान के विषय पर चर्चा नहीं होगी. जैसे ही कर्नाटक पर निर्णय होगा उसके बाद ही सचिन पायलट के मुद्दे पर कांग्रेस आलाकमान निर्णय लेगा. अब राजस्थान को लेकर मलिकार्जुन खड़गे क्या निर्णय लेते हैं ये अगले एक-दो दिन में तय हो सकता है.

2 दिन से जारी है रंधावा का राजस्थान दौरा, अब आ सकते हैं जयपुर, पायलट के दौरे की रिपोर्ट सौंपेंगे आलाकमान को :बीते 2 दिनों से कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा का जयपुर का दौरा इसलिए निरस्त हो रहा है कि जब तक कर्नाटक का फैसला नहीं होता वह राजस्थान को लेकर कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष से चर्चा नहीं कर सकते थे. अब कर्नाटक के फैसले के बाद रंधावा या तो राजस्थान आकर पायलट के पैदल मार्च को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के साथ बैठकर रिपोर्ट तैयार करेंगे. रिपोर्ट दिल्ली मंगा कर उसे मलिकार्जुन खड़गे को सौंपेंगे. अब सचिन पायलट के मुद्दे पर पार्टी क्या निर्णय लेती है ये मलिकार्जुन खड़गे ही तय करेंगे.

क्या पायलट चाहते हैं खुद कांग्रेस छोड़ने की बजाय कांग्रेस उन्हें निकाल दे या अभी समझौते के हैं आसार :सचिन पायलट ने अपने पैदल मार्च के बाद जो तीन मांगे रखी थी उन पर वो कायम हैं. ये तीन मांगे वसुंधरा सरकार में हुए भ्रष्टाचार की जांच के लिए उच्च स्तरीय कमेटी बने, भ्रष्टाचार और पेपर लीक की लगातार घटनाओं के कारण वर्तमान आरपीएससी का पुनर्गठन और चयन प्रक्रिया के लिए स्पष्ट और संस्थापक मापदंड एवं पारदर्शिता सुनिश्चित हो और पेपर लीक से प्रभावित युवाओं को उचित आर्थिक मुआवजा दिए जाएं. इन तीनों मांगों पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 15 दिन में कोई कार्रवाई करेंगे, ये लगता नहीं है. वैसे भी आरपीएससी जैसी संवैधानिक संस्था का पुनर्गठन करना संभव नहीं है.

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अब सवाल यह है कि क्या पायलट जानबूझकर न पूरी होने वाली मांग पर सरकार को अल्टीमेटम क्यों दिया ? कहा ये जा रहा है कि सचिन पायलट कांग्रेस पार्टी छोड़ना नहीं लेकिन अगर कांग्रेस पार्टी उन्हें निकाले तो बात अलग है. ऐसे में अब ये कांग्रेस पार्टी पर निर्भर करता है कि वो पायलट पर कार्रवाई कर उन्हें "राजनीतिक शहीद" का दर्जा दे या फिर पायलट को आंदोलन करने दे. पार्टी के लिए असमंजस की स्थिति ये है कि अगर राजस्थान में सचिन पायलट आंदोलन करते रहे तो उससे राजस्थान की सरकार के खिलाफ माहौल तैयार हो रहा है जिसे चुनावी साल में झेलने की स्थिति में कांग्रेस भी नहीं है.

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