जयपुर. राजस्थान विधानसभा चुनाव में अब केवल कुछ महीनों का फासला है. संभव है कि प्रदेश में सितंबर माह के अंत या अक्टूबर में आचार संहिता लग जाए. ऐसे में कांग्रेस पार्टी के पास अब केवल 6 महीने बचे हैं. इसका मतलब है कि 6 माह बाद उसे जनता की अदालत में जाना होगा. लेकिन कांग्रेस पार्टी में सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच जिस तरह से शीत युद्ध जारी है. यदि नहीं थमा तो कांग्रेस के लिए सियासी डगर आसान नहीं होंगे. इसी शात युद्ध के कारण अब तक राजस्थान कांग्रेस जिला अध्यक्ष नहीं बना पाई है. बिना जिला अध्यक्षों के कैसे पार्टी चुनावी बैतरनी में उतरेगी. सियासी हलकों में इसकी चर्चा काफी तेज हो गई है. हालांकि इस असमंजस को समाप्त करने के लिए प्रदेश प्रभारी रंधावा ने साफ कह दिया है कि वे मंत्रियों व विधायकों के साथ बैठक कर आगे की रणनीति बनाएंगे. वहीं विधायक दल की बैठक बुलाना भी विवाद का विषय बन गया है.
रंधावा की जयपुर में गुप्त मीटिंग
राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा दो दिवसीय अर्थात 20 और 21 मार्च को जयपुर दौरे पर थे. 20 मार्च को रंधावा को कांग्रेस पदाधिकारियों और अन्य नेताओं के साथ बैठक करनी थी, लेकिन उसे अपरिहार्य कारणों से निरस्त किया गया. अब यह बैठक आगामी शुक्रवार यानी 24 मार्च को राजस्थान कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित होगी. 20 मार्च को रंधावा ने कई नेताओं के साथ गुप्त बैठकें भी की. वहीं 21 मार्च को वह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ भी करीब 3 घंटे विधानसभा में चर्चा की. जिसमें सबसे प्रमुख चर्चा जिला अध्यक्षों पर थी. कहा जा रहा है कि नाम लगभग तय हो चुके हैं. लेकिन लिस्ट सार्वजनिक नहीं हो सकी क्योंकि सचिन पायलट ने अपनी सहमति नहीं दी है.
पढ़ें Holi festival 2023: होली के सियासी रंग, गहलोत को पछाड़ने में पायलट नाकाम! वसुंधरा की भक्ति की शक्ति ने उड़ाए अपनों के रंग
बीते मंगलवार को रंधावा और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की 3 घंटे बंद कमरे में मुलाकात के कई मायने निकाले जा रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि इन तीनों नेताओं में कई चरणों में वार्ताएं हो चुकी है लेकिन अभी राजस्थान में जिला अध्यक्ष नहीं बन सके हैं. बता दें कि राजस्थान में 39 जिला अध्यक्ष कांग्रेस संगठन के बनते हैं, उनमें से 13 जिला अध्यक्षों की घोषणा 1 साल पहले कर दी गई थी. हालांकि उदयपुर चिंतन शिविर फार्मूले के तहत 5 साल से ज्यादा एक पद पर किसी नेता के नहीं रहने के नियम के चलते इन 13 में से 5 जिला अध्यक्षों को भी इस्तीफा देना पड़ा.
ऐसे में कांग्रेस पार्टी के अभी 8 जिला अध्यक्ष बने हैं 31 जिला अध्यक्ष बनाए जाने शेष हैं. बता दें कि उदयपुर चिंतन शिविर के अनुसार अब कांग्रेस पार्टी को अपने जिला अध्यक्षों में से 50% जिला अध्यक्ष का पद 50 साल से कम आयु के युवा नेता को देने होंगे. साथ ही जो नेता 5 साल तक जिला अध्यक्ष के पद पर रह चुके हैं, उन्हें भी अपने पद छोड़ने ही होंगे. ऐसे में एक तो पार्टी को नियम कायदों के तहत जिला अध्यक्ष बनाने हैं तो दूसरा सचिन पायलट से भी उन नामों पर सहमति लेनी है.
24 मार्च को फिर आएंगे रंधावा
राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा 24 मार्च को फिर जयपुर आएंगे. बीते 20 मार्च को कांग्रेस पदाधिकारियों, निवर्तमान और वर्तमान जिला अध्यक्षों और बोर्ड निगम के चेयरमैन के साथ बैठक के दौरान कई सुझाव मिले थे. उन सुझावों के ध्यान में रखते हुए आगामी चुनाव को लेकर आगे की रणनीति तैयार होगी. बता दें कि उदयपुर चिंतन शिविर में लिए निर्णय के बाद भी पार्टी को गहलोत व पायलट के बीच सहमति बनानी होगी वर्ना प्रदेश के सियासी हालात कुछ अलग ही होेगे.