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Rajasthan Assembly election: चुनाव सिर पर, कांग्रेस कार्यकर्ताओं को है राजनीतिक नियुक्तियों का इंतजार

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Published : Apr 3, 2023, 12:55 PM IST

राजनीतिक नियुक्तियों के मंशा रखने वाले कार्यकर्ताओं के नाम प्रभारियों की डायरी से बाहर नहीं आ पायी परंतु चुनाव सर पर आ गया है. ऐसे में प्रदेश प्रभारी के लिए चुनौती है कि कैसे मनाएं नाराज कार्यकर्ताओं को और साथ ही क्या आश्वासन दें.

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कांग्रेस कार्यकर्ताओं को है राजनीतिक नियुक्तियों का इंतजार

जयपुर.राजस्थान में एक ओर कांग्रेस पार्टी चुनाव की तैयारियों में जुट गई है लेकिन इन चुनावी तैयारियों में कांग्रेस नेतृत्व को अब कांग्रेस के उन कार्यकर्ताओं की नाराजगी से दो चार होना पड़ रहा है, जो राजनीतिक नियुक्तियों का इंतजार करता रहा और कांग्रेस सरकार का समय लगभग पूरा हो गया. लगातार पिछले सवा चार साल से कांग्रेस पार्टी से जुड़ा कार्यकर्ता इस बात का इंतजार करता रहा, कि उसे खून पसीना बहा कर सरकार लाने के इनाम के तौर पर राजनीतिक नियुक्तियों का तोहफा कब मिलेगा लेकिन सरकार तो बनी लेकिन कांग्रेस कार्यकर्ता को निराशा मिली. कांग्रेस कार्यकर्ता को कांग्रेसी नेताओं की आपसी गुटबाजी के चलते राजनीतिक नियुक्तियां नहीं मिली. हालात यह है कि प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा भले ही पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए खड़े रहनेओर उनसे समर्थन मांगने की बात करते हो लेकिन उन्हें कार्यकर्ताओं का पूरा समर्थन नहीं मिल रहा है.

इसका कारण भी कहीं ना कहीं कांग्रेस कार्यकर्ताओं का प्रभारियों से उठता भरोसा रहा है. जो अपने कार्यकाल में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के नाम अपनी डायरी में लिखकर दिल्ली तो ले गए लेकिन दिल्ली से उन नामों पर मुहर लगने से पहले ही प्रदेश प्रभारी गहलोत और पायलट के बीच चल रहे राजनीतिक युद्ध का शिकार हो गए. जब प्रभारी ही हट गए तो फिर उनकी ओर से की गई नियुक्तियों की कवायद दोबारा शुरू हुई. यही कारण है कि इस बार राजस्थान में ज्यादातर कार्यकर्ता जिला और ब्लॉक स्तर पर मिलने वाली राजनीतिक नियुक्तियों से महरूम रह गया.

अविनाश पांडे व अजय माकन ने बनाई सूची, लिस्ट जारी होने से पहले ही उनकी छुट्टी

राजस्थान में पहले तो जो प्रमुख नियुक्तियां की गई उसमें अधिकारियों को पद देने पर विवाद हुआ. दूसरा जो कांग्रेस का जमीनी कार्यकर्ता जिले और ब्लॉक में कांग्रेस के लिए मेहनत कर रहा था वह गहलोत और पायलट के बीच राजनीतिक युद्ध के चलते पीस गया. हालात ये बने की कि सरकार बनने के बाद राजस्थान के 2 साल तक प्रभारी रहे अविनाश पांडे लिस्ट बनाते रहे और दिल्ली ले जाकर जब वह राजनीतिक नियुक्तियां की सूची जारी करते उससे पहले ही सचिन पायलट ने गहलोत के खिलाफ रिवॉल्ट कर दिया. उस रेवोल्ट का असर यह हुआ कि प्रभारी अविनाश पांडे को राजस्थान का प्रभारी पद छोड़ना पड़ा.

अविनाश पांडे के बाद अजय माकन को राजस्थान के प्रदेश प्रभारी बनाया गया. उन्होंने भी कार्यकर्ताओं से राजनीतिक दायित्व देने के वादे किए और उनकी लिस्ट भी तैयार की. लेकिन इनके जारी होने से पहले अजय माकन भी गहलोत और पायलट के बीच जारी द्वंद का शिकार हुए और उन्हें भी अपना पद छोड़ना पड़ा. नतीजतन अजय माकन की लिस्ट सार्वजनिक नहीं हो पायी. इन दिनों प्रदेश के नए प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा कार्यकर्ताओं से आगामी विधान सभा चुनाव में उनका समर्थन मांग रहे हैं, लेकिन कार्यकर्ता उन्हें पूर्व प्रभारियों के वादे की याद दिला रहे हैं. साथ ही राजनीतिक नियुक्तियां नहीं किए जाने का उलाहना भी दे रहे हैं. हालात यह है कि अब कांग्रेस नेता जब जिलों में जा रहे हैं और चुनाव की तैयारियों की बात कर रहे हैं तो कार्यकर्ता कह रहे हैं कि राज का मजा नेता ले और कार्यकर्ता सरकार बनाने के लिए मेहनत करता रहे ये कहां का न्याय है.

60 से 80 हज़ार से ज्यादा होनी थी नियुक्तियां लेकिन कुछ हजार नियुक्तियों के बाद लगा ब्रेक
राजस्थान में प्रदेश जिला और ब्लॉक स्तर पर 60 से 80 हजार छोटी बड़ी नियुक्तियां कांग्रेस कार्यकर्ताओं को मिलनी थी लेकिन बड़ी राजनीतिक नियुक्तियों समेत कुछ हजार राजनीतिक कार्यकर्ताओं को ही पहले सवा 4 साल में कांग्रेस पार्टी नियुक्तियां की है, बाकी कांग्रेस के नेता अब तक राजनीतिक नियुक्तियों का इंतजार ही कर रहे हैं, अब उनका इंतजार अगर पूरा भी होता है तो इसका कोई खास फायदा कांग्रेस कार्यकर्ता को नहीं मिलेगा क्योंकि अब कांग्रेस कि गहलोत सरकार के महज 8 महीने बाकी बचे हैं, उनमें से भी 2 महीने आचार संहिता के निकाल दिया जाए तो कांग्रेस कार्यकर्ता के पास अंतिम 6 महीने से भी कम का समय बचेगा जिसमें अगर उसे नियुक्ति मिलती भी है तो उसका कोई खास लाभ कांग्रेस कार्यकर्ता नहीं उठा सकेगा.

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