जयपुर.राजस्थान में एक तरफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच सियासी रस्साकशी जारी है और दूसरी तरफ दोनों नेताओं के बीच सुलह के फार्मूले का इंतजार हो रहा है. बहरहाल ऐसा लग रहा है कि राजस्थान में एक तरफ गहलोत और पायलट समर्थित विधायकों और नेताओं का भविष्य दोनों नेताओं के बीच ही फंसा हुआ है. परंतु विधानसभा चुनाव में टिकट में केवल गहलोत और पायलट ही निर्णायक भूमिका में रहेंगे ऐसा नहीं लग रहा है क्योंकि कांग्रेस पार्टी राजस्थान में अपना चुनावी माइक्रोमैनेजमेंट शुरू कर चुकी है. विधानसभा में किस नेता को बेहतर परफॉर्मेंस के आधार पर दोबारा टिकट मिले, किस वर्तमान विधायक या प्रत्याशी के प्रति जनता में नाराजगी है इसका पता लगाकर दूसरे नेताओं को मौका देने का काम शुरू हो चुका है.
सह प्रभारी सर्वे की रिपोर्ट के लिए सीधे क्षेत्र में जाकर ले रहे हैं फीडबैक, दोनों रिपोर्ट हुई असमान तो टिकट कटना तय :राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की सरकार कैसे रिपीट करे, इसको जानने के लिए तीनों सह प्रभारी अपने-अपने जिलों में लगातार कैंप कर रहे हैं. विधायकों के साथ साथ प्रत्याशियों का फीडबैक भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं से सीधे ले रहे हैं. सह प्रभारी अपने पास पहले से मौजूद सर्वे रिपोर्ट और अपने फीडबैक के अनुसार एक रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं. यही रिपोर्ट तय करेगी कि किस विधायक या टिकट मांग रहे प्रत्याशी के जीतने के कितने आसार हैं. उसी के आधार पर उस क्षेत्र के प्रत्याशी तय किए जाएंगे.