जयपुर. 'वसुंधरा जी आपसे मैंने प्रेरणा लेकर बोलना सीखा है, मैं कभी ऐसी बातें बोलता नहीं था. जब ये बोला करतीं थीं, इनसे प्रेरणा ली.' साल 2022 के बजट भाषण में सीएम अशोक गहलोत के ये शब्द हर उस व्यक्ति के जहन में होंगे, जिसने उस बजट भाषण को सुना था. अपने बजट भाषण में उन्होंने प्रदेश की खुशहाली और चहुंमुखी विकास की राह प्रशस्त करने की बात कहते हुए कुछ इस अंदाज में शेर पढ़ा था कि ना पूछो मेरी मंजिल कहां है, अभी तो सफर का इरादा किया है. न हारूंगा हौंसला उम्र भर, ये मैंने किसी से नहीं खुद से वादा किया है. गहलोत अब तक वर्तमान कार्यकाल के विभिन्न बजट भाषणों में करीब 10 बार शेर से अपने जज्बात जाहिर करते रहे हैं.
वसुंधरा से आगाज- 14वीं विधानसभा का अंतिम बजट जिसे तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने पेश किया था. उस दौरान उन्होंने बजट भाषण के साथ तीन बार शायरी के जरिए अपनी बात रखी थी. कुछ कविताओं के अंश भी पढ़े थे. उनके बेलौस अंदाज ने दाद के साथ तालियां भी खूब बटोरी थीं. मैं किसी से बेहतर करूं, क्या फर्क पड़ता है. मैं किसी का बेहतर करूं, बहुत फर्क पड़ता है.
अपने बजट भाषण में वसुंधरा राजे ने युवाओं के लिए बंपर भर्तियां, किसानों की कर्ज माफी, भामाशाह कार्ड धारकों को एक लाख रुपए तक का बीमा जैसी महत्वपूर्ण घोषणा की थी और कुछ इस अंदाज में अपनी बात को शायरी के जरिए रखा था- ये मंजिलें बड़ी जिद्दी होती हैं, हासिल कहां नसीब से होती हैं. मगर वहां तूफान भी हार जाते हैं, कश्तियां जहां जिद पर होती है. राजे ने अपने बजट भाषण में एक शायरी और पढ़ी थी जिसने जमकर तालियां भी बटोरी और सुर्खियां भी. जो कुछ यूं थी- मंजिल यूं ही नहीं मिलती दोस्तों, एक जुनून जगाना पड़ता है. पूछा चिड़िया से घोंसला कैसे बनता है, बोली - तिनका तिनका उठाना पड़ता है.