जयपुर.साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा ने उन जिलों पर फोकस कर लिया है, जहां 2018 में उनकी स्थिति कमजोर थी. यह वजह है कि इस बार बीजेपी की कार्यसमिति की बैठक नागौर में होने जा रही है . बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी के अध्यक्ष बनने के बाद ये पहली कार्यसमिति की बैठक है.
इस बैठक में न केवल कांग्रेस के गढ़ में सेंधमारी का मंथन होगा , बल्कि लंबे समय से आपसी गुटबाजी से जूझ रही बीजेपी को कैसे संगठित होकर काम करना है, इसको लेकर भी मंथन होगा. इस बैठक में प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह , केंद्रीय मंत्री सहित प्रदेश के कार्यसमिति से जुड़े नेता शामिल होंगे. कार्यसमिति की बैठक में पार्टी की आगामी तीन महीने की कार्ययोजना तैयार की जाएगी.
कांग्रेस के गढ़ में बैठकः नागौर जिला राजनितिक लिहाज से परंपरागत रूप से कांग्रेस का गढ़ रहा है. यहां पर शुरुआत से ही मिर्धा परिवार का बड़ा वर्चस्व रहा है. जाट बाहुल्य इस जिले में 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने अच्छी बढ़त हासिल की थी. नागौर जिले की विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां पर 10 विधानसभा सीट है. इसमें से 6 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है, जबकि बीजेपी के पास दो सीटें है. वहीं, सांसद हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी के पास 2 सीटें हैं. जाट बाहुल्य इस सीट पर बीजेपी की कोशिश होगी कि किस तरह से वह अपनी जड़ें यहां पर मजबूत करे, हालांकि बीजेपी के सामने कांग्रेस के अलावा हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी भी बड़ी चुनौती है. हनुमान बेनीवाल ने 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के साथ गठबंधन करके सांसद का चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी, लेकिन चुनाव जीतने के बाद बेनीवाल ने किसान आंदोलन को मुद्दा बना कर बीजेपी से अपने गठबंधन को खत्म कर दिया था. बीडेपी की यहां दो दिन चलने वाली कार्यसमिति की बैठक में जिले की सभी 10 सीटों पर मंथन किया जाएगा.