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बगावती तेवर वाले विधायक कैलाश मेघवाल पर निष्कासन की तलवार! पार्टी और विधायक दल से बाहर करने की तैयारी - कैलाश मेघवाल को 6 साल के लिए सस्पेंड की तैयारी

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल पर अब निष्कासन की तलवार लटक गई है. पार्टी के खिलाफ बगावती तेवर अपनाने पर मेघवाल को भाजपा 6 साल के लिए निष्कासित करने की तैयारी कर ली है. इसके साथ ही विधायक दल से भी बाहर करने के लिए पार्टी ने केंद्रीय नेतृत्व से राय मांगी है.

MLA Kailash Meghwal
कैलाश मेघवाल

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 15, 2023, 12:13 PM IST

Updated : Sep 15, 2023, 3:25 PM IST

जयपुर.भारतीय जनता पार्टी का अनुशासन तोड़ने वाले पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और मौजूदा भाजपा विधायक कैलाश मेघवाल पर बीजेपी और सख्त एक्शन लेने जा रही है. बगावती तेवर अपनाने पर बीजेपी मेघवाल को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित करने की तैयारी में है. इसके साथ ही विधायक दल से भी मेघवाल को बाहर किया जाएगा, हालांकि प्रदेश भाजपा ने इस एक्शन के लिए बीजेपी के केंद्रीय अनुशासन समिति और केंद्रीय नेतृत्व से राय मांगी है.

6 साल के लिए बर्खास्त :दरअसल पिछले दिनों अपनी ही पार्टी के केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और प्रदेश के नेताओं पर खुल्लम खुल्ला आरोप लगाने वाले पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और मौजूदा भाजपा विधायक कैलाश मेघवाल को बीजेपी अब 6 साल के लिए निष्कासित करने जा रही है. प्रदेश बीजेपी की अनुशासन समिति ने मेघवाल की निष्कासन के लिए केंद्रीय अनुशासन समिति और केंद्रीय नेतृत्व से पत्र लिखकर राय मांगी है. बताया जा रहा है कि प्रदेश भाजपा के अनुशासन समिति ने अपने पत्र में यह साफ लिखा है कि मेघवाल ने जिस तरह से केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल पर सार्वजनिक रूप से भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं, उससे पार्टी को काफी नुकसान पहुंचा है. इसके साथ ही नोटिस देने के बाद भी उन्होंने पार्टी से सीधा संवाद करने की बजाय मीडिया के जरिए दोबारा केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल पर गंभीर आरोप लगाए. जो कुछ भी कैलाश मेघवाल ने आरोप लगाए हैं वह झूठे आरोप हैं और बेबुनियाद है. इस तरह के कृत्य करने से भाजपा की छवि पर असर पड़ा है. ऐसे में भाजपा के संविधान के अनुसार मेघवाल को आगामी 6 महीने के लिए निष्कासित किया जाना चाहिए. ऐसा करने से अन्य को सबक मिलेगा की वह पार्टी का अनुशासन नहीं तोड़े. अब प्रदेश भाजपा केंद्रीय अनुशासन समिति और केंद्रीय नेतृत्व के जवाब का इंतजार कर कर रही है. माना जा रहा है कि जैसे ही केंद्र से जवाब आएगा उसके साथ ही मेघवाल को बर्खास्त कर दिया जाएगा.

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विधायक दल से भी बाहर होंगे मेघवाल :कैलाश मेघवाल के निष्कासन के साथ-साथ बीजेपी उन्हें भाजपा विधायक दल से भी बाहर करने की तैयारी में है. इसको लेकर भी केंद्रीय नेतृत्व से सुझाव मांगा गया है. बताया जा रहा है कि हाल ही में भारतीय जनता पार्टी के संविधान में हुए संशोधन के तहत अब राज्य को यह अधिकार मिल गए हैं कि वह अपने स्तर पर भी पार्टी का अनुशासन तोड़ने पर पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़ने वाले विधायक को विधायक दल से बाहर कर सकता है. इसका अधिकार नेता प्रतिपक्ष के पास होगा. ऐसे में माना जा रहा है कि जल्द ही नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ के अनुमोदन से कैलाश मेघवाल को पार्टी के विधायक दल से बाहर किया जा सकता है.

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क्या है प्रक्रिया :दरअसल पार्टी का किसी भी तरह से अनुशासन तोड़ने पर अनुशासन समिति की ओर से पहले नोटिस देकर जवाब मांगा जाता है. नीयत समय तक जवाब नहीं आने पर अनुशासन समिति पार्टी की प्रारंभिक सदस्यता से निलंबित करने की अनुशंसा प्रदेश अध्यक्ष को करती है. इसके बाद प्रदेश अध्यक्ष अनुशंसा का परीक्षण करने के बाद निलंबन की कार्रवाई के आदेश जारी करता है. निलंबन के आदेश में भी 10 से 15 दिन का वक्त सफाई के लिए दिया जाता है. अगर फिर भी पार्टी का अनुशासन तोड़ने वाला नेता अपना जवाब संतुष्टि पूर्ण नहीं देता है तो उसके बाद पार्टी 6 साल की लिए निष्कासित कर देती है. यानी अनुशासन तोड़ने वाले नेता को एक चुनाव जिसमें लोकसभा, विधानसभा सभा या अन्य पार्टी के सिंबल पर होने पंचायती राज या नगरीय निकाय चुनाव नहीं लड़ सकता है. हालांकि इसमें एक प्रोविजन ये भी है कि निष्कासन की अवधि के दौरान अगर पार्टी को लगता है कि उन्हें अब इस नेता की जरूरत है तो प्रदेश अध्यक्ष के स्तर पर निष्कासन को बहाल किया जा सकता है.

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ये हुआ था विवाद :बता दें कि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने 27 अगस्त को एक सभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल को भ्रष्टाचारी बताते हुए मंत्रिमंडल से हटाने की मांग की थी. मेघवाल के इस बयान को पार्टी ने अनुशासनहीनता मानते हुए 10 दिन का 29 अगस्त को नोटिस जारी किया और जवाब मांगा, लेकिन कैलाश मेघवाल ने नोटिस का जवाब नहीं दिया और 13 सितंबर को प्रेस कांफ्रेस कर अपने आरोप को खुले तौर पर दोहराया. इतना ही नहीं मेघवाल ने इस बार पार्टी के दूसरे नेता प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी, नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ तथा सतीश पूनिया पर भी पार्टी में गुटबाजी करने के आरोप लगाए. हालांकि मेघवाल की इस अनुशासनहीनता पर प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने उन्हें उसी दिन पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया था.

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वसुंधरा राजे के माने जाते हैं खास :बता दें कि कैलाश मेघवाल पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खास करीबी माने जाते हैं. यही वजह है कि मेघवाल ने 13 अगस्त को की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी इस बात का जिक्र किया था कि पार्टी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की अनदेखी कर रही है. राजे के साथ उनके समर्थकों को लगातार अनदेखी का शिकार होना पड़ रहा है. मेघवाल ने यहां तक कहा कि बीते दिनों वसुंधरा राजे की जितनी अधिक अनदेखी हुई जितना अपमान हुआ आज तक किसी का नहीं हुआ है. मेघवाल ने कहा था कि वसुंधरा राजे और उनके समर्थकों की अनदेखी की वजह से आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी को नुकसान उठाना पड़ेगा.

Last Updated : Sep 15, 2023, 3:25 PM IST

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