जयपुर.मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के नए अध्यक्ष निर्वाचित हो चुके हैं. अध्यक्ष बनने के बाद उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती राजस्थान में व्याप्त सियासी असंतोष और उठी बगावती सुर को दबाने की होगी, जो आसान नहीं है. ऐसे में राजस्थान में जारी सियासी घमासान को (Rajasthan political crisis) खड़गे के लिए अग्नि परीक्षा के तौर पर भी देखा जा रहा है, क्योंकि पार्टी अध्यक्ष बनने से पूर्व इस समस्या के समाधान के लिए उन्हें बतौर पर्यवेक्षक जयपुर भेजा गया था. लेकिन गहलोत समर्थक विधायक के अड़ियल रूख और इस्तीफे ने पार्टी आलाकमान की चिंताएं बढ़ा दी थी. यही वजह है कि अब खड़गे के अध्यक्ष बनने के बाद राजस्थान पर उनके फैसलों का साफ असर देखने को (Kharge fire political test) मिलेगा. वहीं, खड़गे भी जानते हैं कि उन्हें अपने पहले असाइनमेंट से किसी भी तरह पार पाना होगा, वरना प्रदेश में सरकार गिरने की संभावना बढ़ जाएगी.
खड़गे को फूंक-फूंककर रखना होगा कदम:एक ओर गहलोत समर्थक विधायक अपने रूख पर अब भी अडिग (Angry Gehlot supporters MLA) है तो दूसरी ओर आलाकमान का इकबाल भी कायम रखना है. ऐसे में नवनिर्वाचित पार्टी अध्यक्ष के लिए राह आसान नहीं है. बावजूद इसके बिना समाधान के सूबे में सरकार बचाना भी दिन-ब-दिन मुश्किल दिख रहा है. खैर, खड़गे पहले ही राजस्थान में विधायक दल की बैठक करवाने में असफल हो चुके हैं. ऐसे में साफ है कि अगर विधायकों को उनके पक्ष में फैसला होता नहीं दिखा तो वो आगे बगावत कर सकते हैं. यही कारण है कि इस मामले में अब खड़गे को फूंक-फूंककर कदम रखना होगा.