जयपुर। प्रदेश में फर्जी डिग्री और बिजली कटौती के मुद्दे पर एक बार फिर प्रदेश की गहलोत सरकार सदन में घिरी हुई दिखी. गुरुवार को स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए चित्तौड़गढ़ से आने वाले बीजेपी के विधायक चंद्रभान सिंह आक्या और रानीवाड़ा से आने वाले विधायक नारायण सिंह देवल ने यह जनहित के मुद्दे उठाए.चंद्रभान ने फर्जी डिग्री की जांच के नाम पर परीक्षा पूर्ण होने के बाद भी परीक्षा को स्थगित किए जाने पर आपत्ति दर्ज कराई. उन्होंने कहा कि जांच के नाम पर युवा बेरोजगारों के अधिकारों के साथ कुठाराघात हो रहा है. वहीं नारायण सिंह देवल ने कहा की अघोषित बिजली की कटौती से आम जनता हर दिन परेशान हो रही है.
फर्जी डिग्री के नाम पर युवा परेशानः विधायक चंद्रभान सिंह आक्या ने कहा कि प्रदेश में फर्जी डिग्रियों की जांच के नाम पर प्रतियोगी परीक्षाओं को स्थगित किया जाने से बेरोजगारों के भविष्य पर विपरीत असर पड़ रहा है. फर्जी डिग्री के आधार पर संगठित गिरोह लंबे समय से सरकारी नौकरी में बिना डिग्री धारियों को नियुक्त किए जाने साजिश को अंजाम दे रहा है. फर्जी डिग्री की शिकायत होने पर इनकी जांच के नाम पर भर्ती प्रक्रिया को स्थगित करके राजस्थान लोक सेवा आयोग,कर्मचारी चयन बोर्ड सहिय सरकार अन्य एजेंसियों ने भर्ती प्रक्रिया को बाधित किया है. जिससे प्रदेश में युवा बेरोजगारों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है. पिछले दिनों रेडियोग्राफर,शिक्षक,एनटीटी इलेक्ट्रिशियन,फायरमैन व सहायक अग्निशमन अधिकारी सहित कई भर्तियों में फर्जी डिग्री की जांच के नाम पर परीक्षा होने के बाद स्थगित कर दिया गया. ऐसे में योग्य अभ्यर्थियों को अच्छा प्रदर्शन करने के बाद भी असफलता का सामना करना पड़ रहा है. वहीं दूसरी ओर सरकार को फर्जी डिग्री बनाने वाले गिरोह पर किसी प्रकार की कोई कार्रवाई करने में सफलता नहीं मिली है. ऐसे में सरकार से मांग है कि प्रदेश में फर्जी डिग्रियों की जांच के नाम पर जिन परीक्षाओं को स्थगित किया है,उनकी जांच प्रक्रिया शीघ्र पूरी करके भर्ती प्रक्रिया को ओपेन किया जाए, जिससे युवाओं बेरोजगारों को लाभ मिले.