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Rajasthan Assembly: नगर पालिका संशोधन बिल 2023 बहुमत से पास, सत्ता और विपक्ष में हुई तीखी नोकझोंक - बिल के जरिए सरकार के पास आईं शक्तियां

राजस्थान विधानसभा में नगर पालिका संशोधन विधेयक 2023 सोमवार को बहुमत के साथ पास हो गया. इस बिल पर चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष में कुछ वाद-विवाद भी हुआ. इसके अलावा विधानसभा ग्रेटर निगम मेयर और निंबाराम का मामला भी उठा.

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राजस्थान नगर पालिका संशोधन बिल 2023 बहुमत से पास

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Published : Mar 20, 2023, 8:01 PM IST

राजस्थान नगर पालिका संशोधन बिल 2023 बहुमत से पास

जयपुर.राजस्थान विधानसभा में सोमवार को बहुमत के साथ राजस्थान नगर पालिका संशोधन विधेयक 2023 बहुमत के साथ पास हो गया. हालांकि बिल पास होने से पहले पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने अपनी-अपनी बात रखी. विपक्ष ने जनमत जानने के लिए कहा लेकिन बहुमत न होने से वो प्रस्ताव खारिज हो गया. इस बिल पर चर्चा के दौरान विधानसभा में जयपुर नगर निगम ग्रेटर मेयर के निलंबन और आरएसएस प्रचारक निंबाराम का मामला भी सदन में उठा. पक्ष और विपक्ष के वाद-विवाद के बीच संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने राजेंद्र राठौड़ से कहा की कुछ बातें पर्दे में रहने दो. असलियत आप भी जानते हो और हम भी. धारीवाल ने मेयर के क्लीनचिट पर कहा कि सुप्रीम कोर्ट से उन्हें क्लीनचिट नहीं मिली है, उनके मामले पर अभी सरकार विचार कर रही है.

बिल के जरिए सरकार के पास आईं शक्तियांः फर्जी दस्तावेजों के साथ चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को अब सरकार भी उनको उनके पद से हटा सकेगी. विधानसभा में राजस्थान नगरपालिका संशोधन विधेयक 2023 बहुमत के साथ पास हो गया. इस बिल में प्रावधान किए गए हैं कि अगर कोई भी उम्मीदवार किसी तरह के गलत दस्तावेज के साथ चुनाव लड़ता है और उसकी जानकारी एक महीने बाद सामने आती है तो सरकार उसकी जांच कराकर दोषी पाए जाने पर उसे पद से हटा सकेगी. इससे पहले सरकार के पास किसी भी चुने हुए प्रतिनिधि को हटाने की शक्तियां नहीं थीं. सिर्फ चुनाव होने के 1 महीने के भीतर न्यायालय में चुनौती दी जा सकती थी. एक महीने बाद अगर फर्जी दस्तावेजों की जानकारी मिलती है तो उसकी उसकी शिकायत का प्रावधान कहीं पर भी नहीं था, लेकिन अब सरकार ने संशोधन विधेयक लाकर कुछ शक्तियां अपने पास ले ली हैं.

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सरकार के पास शक्तियां आना गलत-राठौड़ः नगरपालिका संशोधन विधेयक 2023 पास होने से पहले पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने इस बिल पर अपनी-अपनी राय रखी. इस दौरान विपक्ष ने बिल के लिए जनमत की मांग की, लेकिन बहुमत नहीं होने की वजह से वह खारिज हो गई.इस दौरान विधानसभा में जयपुर ग्रेटर में सौम्या गुर्जर के निलंबन और आरएसएस प्रचारक निंबाराम का मुद्दा भी उठा. बिल पर चर्चा के दौरान उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि इस बिल की जरूरत नहीं है, बावजूद इसके सरकार लेकर आ रही है. इसी बीच शांति धारीवाल खड़े हुए और उन्होंने कहा कि अगर किसी के खिलाफ शिकायत एक महीने बाद आती है तो उसे हटाने की शक्तियां सरकार के पास आना गलत है क्या. इस दौरान दोनों के बीच में वाद- विवाद भी हुआ.

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पर्दे की बातें पर्दे में रहने दोः बिल पर चर्चा राजेंद्र राठौड़ ने धारीवाल से कहा कि पहले से ही नियम बने हुए हैं, जिनमें यह प्रावधान है तो फिर नया संशोधन विधेयक क्यों लाया जा रहा है. राठौड़ ने धारीवाल को यहां तक कहा कि हम गांव के हैं और आप शहर के, लेकिन अनपढ़ हम भी नहीं हैं. इसी तरह से आपकी सरकार ने जयपुर ग्रेटर नगर निगम मेयर को निलंबित कर दिया, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने क्लीन चिट दी है. निंबाराम के मामले पर भी सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा था. इस पर शांति धारीवाल खड़े हुए और उन्होंने कहा कि जयपुर ग्रेटर में मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कोई क्लीनचट नहीं दी है. सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा है कि उनके ऊपर लगे आरोपों की जांच करके सरकार निर्णय करे. इसके लिए हमने मेयर को नोटिस जारी किया है. मेयर ने अपना जवाब दे दिया, लेकिन अब उस पर क्या फैसला करना है वह सरकार के पास विचार के लिए रखा हुआ है. धारीवाल ने कहा कि निंबाराम को लेकर आप बात नहीं करें तो ज्यादा बेहतर है वरना सदन में बैठे आपकी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया नाराज हो जाएंगे. धारीवाल ने राठौड़ को यहां तक कहा कि कुछ मामले पर्दे में रखे हैं, उन्हें पर्दे में रहने दो. असलियत आप भी जानते हो और हम भी.

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