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Ticket Formula in Rajasthan : चुनावी मोड में राजस्थान कांग्रेस, लेकिन पार्टी नेतृत्व के सामने ये है बड़ी उलझन - Confusion on Ticket Formula

राजस्थान कांग्रेस चुनावी मोड में (Congress in Election Mode) आ चुकी है और लोकल स्तर पर फीडबैक लेने का काम लगातार जारी है. लेकिन पार्टी नेतृत्व इस बात को लेकर उलझन में है कि टिकट के लिए जिताऊ प्रत्याशी देखे या नियम. यहां समझिए पूरा समीकरण...

Sukhjinder Randhawa on Ticket Formula
टिकट को लेकर उलझन में राजस्थान कांग्रेस

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Published : Jun 14, 2023, 7:40 PM IST

Updated : Jun 14, 2023, 7:49 PM IST

चुनावी मोड में राजस्थान कांग्रेस, सुनिए रंधावा ने क्या कहा...

जयपुर. राजस्थान विधानसभा चुनाव में 5 महीने का समय बचा है. ऐसे में सत्ताधारी दल कांग्रेस पूरी तरीके से चुनावी मोड में आ चुका है. चाहे सर्वे की बात हो या फिर प्रत्याशियों का, पर्यवेक्षकों के जरिए लोकल फीडबैक का काम लगातार जारी है कि कौन जिताऊ प्रत्याशी है और किसका टिकट जिताऊ नहीं होने के चलते काटा जाए. क्या चुनाव में कोई उम्र का क्राइटेरिया भी लागू किया जाए, ताकि युवाओं को इन चुनाव में टिकट दिया जा सके. अब कांग्रेस एक ओर तो सरकार रिपीट करवाने की कोशिश कर रही है तो वहीं दूसरी ओर राजस्थान कांग्रेस नेतृत्व के सामने परेशानी खड़ी हो गई है कि वह नियम देखे या जिताऊ प्रत्याशी.

टिकट काटा तो लोकसभा में कांग्रेस के पास नहीं होंगे प्रत्याशी : कांग्रेस पार्टी में लगातार इस बात को लेकर चर्चा चल रही है कि जो नेता लगातार दो चुनाव हार चुके हैं, उनके सख्ती से टिकट काटे जाएं. पिछले विधानसभा चुनाव में एकमात्र बीडी कल्ला को छोड़ दिया जाए तो लगातार दो बार चुनाव हारने वाले नेताओं का टिकट कांग्रेस ने काट भी दिया था, लेकिन अगर यह नियम विधानसभा चुनाव में लागू होता है तो फिर इसे लोकसभा चुनाव में भी लागू करना होगा. ऐसा करने पर कांग्रेस पार्टी जो लगातार दो लोकसभा चुनाव में एक भी सीट राजस्थान में नहीं जीत पाई है, उसके पास इक्का-दुक्का प्रत्याशी को छोड़ कोई प्रत्याशी ही नहीं बचेगा. ऐसे में अब पार्टी इस नियम को विधानसभा चुनाव में लागू करे या नहीं, इसे लेकर उलझन चल रही है.

टिकट फॉर्मूले पर मंथन...

एक परिवार एक टिकट में भी कई जगह हो सकती है दिक्कत : उदयपुर अधिवेशन में कांग्रेस पार्टी ने तय किया था कि कांग्रेस अब एक परिवार को एक ही टिकट देगी. हालांकि, इसमें यह ऑप्शन जरूर रखा गया कि अगर एक ही परिवार के दो नेता लगातार 5 साल से संगठन में सक्रिय हैं तो उन्हें टिकट दिया जा सकता है. लेकिन अगर एक परिवार से एक टिकट का फॉर्मूला लगता है तो कई नेता ऐसे हैं जिनके परिजनों को टिकट नहीं मिलेंगे. राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरदारपुरा विधानसभा से चुनाव लड़ते हैं तो वैभव गहलोत जोधपुर लोकसभा से. इसी तरह मंत्री मुरारीलाल मीणा, प्रमोद जैन भाया, दिव्या मदेरणा, महेंद्र चौधरी, महेंद्रजीत सिंह मालवीय और गोविंद मेघवाल जैसे कई नाम हैं, जिनके परिवार के सदस्य विधानसभा, लोकसभा या प्रधान जिला प्रमुख के चुनाव में अपने परिवार के साथ टिकट मांगते हैं. ऐसे में अगर एक परिवार से एक व्यक्ति को टिकट की बात होगी तो इन नेताओं के नाम लेकर भी पार्टी के सामने मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं.

पढ़ें :...तो क्या केवल जिताऊ चेहरों पर दांव खेलेगी कांग्रेस, टिकट का यह फॉर्मूला कइयों का उड़ाएगा चैन

बड़ी उम्र के नेताओं के टिकट कैसे काटें, जब ज्यादातर मंत्री 70 के पार : युवाओं को आगे लाने के लिए भी कांग्रेस पार्टी में उम्र का क्राइटेरिया तय करने की बात चल रही है, लेकिन मुसीबत यह है कि राजस्थान में ज्यादातर जिताऊ चेहरे ऐसे हैं जिनकी उम्र भले ही ज्यादा हो चुकी हों, लेकिन जीताऊ उम्मीदवार वही हैं. चाहे बीडी कल्ला हों, शांति धारीवाल, हेमाराम चौधरी, परसादी लाल, सुखराम बिश्नोई, सीपी जोशी, अशोक गहलोत, अमीन खान, गायत्री देवी, जौहरी लाल मीणा, परसराम मोरदिया या रामनारायण मीणा. यह ज्यादातर वो नेता हैं जिनकी उम्र 70 साल से कहीं ज्यादा हो चुकी है, लेकिन कांग्रेस पार्टी इनका टिकट नहीं काट सकती क्योंकि इनके क्षेत्र में जिताऊ उम्मीदवार यही नेता हैं.

Last Updated : Jun 14, 2023, 7:49 PM IST

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