ये प्रोफेसर अब चुनावी मैदान में आजमाएंगे किस्मत जयपुर.राजस्थान विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अब किताबों की दुनिया छोड़कर विधानसभा चुनाव में सियासी दलों से टिकट पाने की चाह में जयपुर से लेकर दिल्ली तक की खाक छान रहे हैं. साथ ही 50 से ज्यादा प्रोफेसरों ने यूनिवर्सिटी प्रशासन से एनओसी मांगी है. इनमें से कुछ राजनीतिक दलों से तो कुछ निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव में ताल ठोकने जा रहे हैं. खास बात यह है कि अधिकतर प्रोफेसर मालवीय नगर विधानसभा क्षेत्र से चुनावी समर में उतरना चाहते हैं.
कतार में प्रोफेसर :प्रदेश की राजनीति में सक्रिय प्रो. सीपी जोशी, डॉ. गिरिजा व्यास, बीरू सिंह राठौड़ और फूलचंद भिंडा जैसे नेता पहले कॉलेज और यूनिवर्सिटी में सेवाएं देने के बाद ही राजनीति में आए. अब इसी कतार में राजस्थान विश्वविद्यालय के वर्तमान प्रोफेसर भी लग गए हैं. कई प्रोफेसर विभिन्न राजनीतिक दलों में लंबे समय से सक्रिय हैं, जो कैंपस छोड़कर चुनावी मैदान में उतरने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं. साथ ही चुनाव में जिला निर्वाचन अधिकारी की ओर से लगाई गई ड्यूटी आड़े न आए, इसके लिए यूनिवर्सिटी एक्ट का हवाला देकर विश्वविद्यालय प्रशासन से एनओसी मांगी है.
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तो इसलिए चुनाव लड़ना चाहते हैं प्रोफेसर :अलवर जिले के रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र से तैयारी कर रहे डॉ. गजेंद्र सिंह ने बताया कि वो अपने विजन के साथ रामगढ़ क्षेत्र के लिए काम करना चाहते हैं. साल 2018 से ही वो चुनाव की तैयारी कर रहे हैं. इस बार भी एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल से टिकट मांग रहे हैं, लेकिन इस बार यदि टिकट नहीं मिलता तो भी वो निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे. वहीं, पिलानी में स्थानीय नेताओं के साथ सक्रिय रहे डॉ. संजय कुमार ने बताया कि उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि भी राजनीतिक रही है. ऐसे में जिस क्षेत्र में वो अब तक सक्रिय रहे हैं, वहीं से चुनाव लड़ना चाहते हैं.
ये प्रोफेसर अपने क्षेत्र से मांग रहे टिकट जबकि नोहर से तैयारी कर रहे डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि राजनीतिक रचनात्मक होनी चाहिए. वर्तमान में राजनीति निरस दौर से गुजर रही है. वो राजनीतिक क्षेत्र में उतरकर यूथ को साथ लेकर पॉलिटिकल क्रिएटिविटी लाना चाहते हैं. इसके साथ ही चौमूं से तैयारी कर रहे डॉ. चतुर्भुज यादव ने बताया कि वो कांग्रेस के सक्रिय सदस्य हैं. उन्होंने यूनिवर्सिटी के नियमों को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस की गतिविधियों में अपनी भूमिका अदा की है. लेकिन चुनाव आयोग के नियमों को ताक पर रखकर उनकी ड्यूटी चुनाव में लगाई गई है.
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इन प्रोफेसरों ने मांगी यूनिवर्सिटी प्रशासन से एनओसी : इनके अलावा अलावा डॉ. इंदु सांखला, डॉ. जय सिंह, डॉ. गजराज वर्मा, डॉ. घनश्याम कच्छावा, डॉ. घनश्याम बेड़ा, डॉ. जगदीश गिरी, डॉ. दीप मित्तल, डॉ. जितेंद्र शर्मा, डॉ. अनिल अनिकेत, डॉ. अनिल कुमार, डॉ. अरविंद कुमार, डॉ. विनय कुमार, डॉ. महेंद्र गोरा, डॉ. किशन कुमार, डॉ. दिनेश गहलोत, डॉ. दिनेश कुमार, डॉ. ओमप्रकाश सीरवी, डॉ. मयंक बर्नवाल, डॉ. सुभाष चंद्र, डॉ. नरेश निर्मल, डॉ. गौरव गोठवाल, डॉ. देवदत्त पटेल, डॉ. अमन पाल सिंह, डॉ. अमीलाल राव, डॉ. नरेश मलिक, डॉ. तरुण जोनवाल, डॉ. अमित शर्मा, डॉ. अमित कोटिया, डॉ. भरत लाल मीणा, डॉ. अनूप मीणा, डॉ. अरुण सिंह, डॉ. चंद्रपाल सिंह, डॉ. छगनलाल, डॉ. चंद्र प्रकाश मौर्य, डॉ. दिनेश कुमार जांगिड़, डॉ. देवेंद्र महावर, डॉ. देवेंद्र, डॉ. गणेश कुमार, डॉ. कपिल शर्मा, डॉ. शिवा और डॉ. रोहित जैन ने भी यूनिवर्सिटी प्रशासन से एनओसी मांगी है. ये सभी मालवीय नगर विधानसभा क्षेत्र से अपनी दावेदारी जताने वाले हैं.
हालांकि, जानकारों की मानें तो जो प्रोफेसर मालवीय नगर विधानसभा क्षेत्र से नॉमिनेशन भरने की कवायद में जुटे हैं, उन्हें जिला निर्वाचन अधिकारी के विरोध के रूप में भी देखा जा रहा है. दरअसल, जिला निर्वाचन अधिकारी ने राजस्थान विश्वविद्यालय के 400 से ज्यादा शिक्षकों और कर्मचारियों की चुनावी ड्यूटी लगा दी. चूंकि यूनिवर्सिटी एक्ट में चुनाव लड़ने की छूट है, जबकि अन्य सरकारी कर्मचारियों को चुनाव लड़ने के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेनी पड़ती है. ऐसे में अपने इसी अधिकार का फायदा उठाते हुए, शिक्षकों ने विरोध जताने का ये नया तरीका इजाद किया है.