जातियों की जाजम पर सियासत की बिसात जयपुर. राजस्थान में सियासत की धुरी अक्सर जातियों के इर्द-गिर्द ही घूमती रही है. विधानसभा चुनाव 2023 में करीब 7 महीने का समय बचा है. ऐसे में चुनावी समर में फतेह हासिल करने के लिए राजनीतिक पार्टियां जातियों को अपने पाले में लाने की कवायद में जुटी हुई है. दूसरी ओर महापंचायत के जरिए जातियां राजनीतिक दलों को अपनी ताकत दिखा रही हैं. जाट, राजपूत, ब्राह्मण, एससी एसटी के बाद अब सैनी माली समाज महापंचायत के जरिए अपनी ताकत दिखाने की तैयारी में है. सोमवार को माली सैनी महासभा के अध्यक्ष और पूर्व कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सामाजिक मुद्दों के साथ राजनीतिक पार्टियों के बीच मे समाज की ताकत दिखाने के लिए 4 जून को माली महासंगम आयोजित किया जाएगा, जिसमें 5 लाख से ज्यादा माली सैनी, कुशवाहा, शाक्य, मौर्य समाज जो कि एक ही वर्ग है वो सभी एकत्रित होंगे. यह पूरी तरीके से गैर राजनीतिक मंच होगा, जिसमें कांग्रेस बीजेपी सहित तमाम राजनीतिक पार्टियों के साथ-साथ समाज के प्रतिनिधि शामिल होंगे.
माली महासंगम :माली सैनी महासभा के प्रदेश अध्यक्ष छुट्टन लाल सैनी ने कहा कि राजस्थान में 4 जून को माली महासंगम होने जा रहा है, जिसमें माली महासभा, सावित्री फुले संस्थान के साथ जितनी भी माली सैनी, कुशवाहा, शाक्य, मौर्य समाज की संस्थाएं बनी हुई है वो सब एक मंच पर होंगी. साथ सभी राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधि भी इस महासंगम में शामिल होंगे. इस महासंगम का उद्देश्य समाज का राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक के साथ शैक्षणिक जागृति को बढ़ाना होगा. छुट्टन लाल ने कहा कि राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों पर माली समाज 5 हजार से 50 हजार तक कि संख्या में है, लेकिन राजनीतिक पार्टियां सिर्फ 2 या 3 सीट पर टिकट देती है. समाज की मांग है कि प्रत्येक पार्टी कम से कम 20 सीटों पर माली सैनी समाज के उम्मीदवार को टिकट दे.
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राजनीति के साथ सामाजिक मुद्दे : पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रभु लल सैनी ने कहा कि महासंगम में राजनीतिक मुद्दों के साथ-साथ में समाज सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर भी चर्चा होगी. किस तरह से समाज में शिक्षा , सामाजिक स्तर और ओर बेहतर किया जाए उस पर मंथन होगा. यह पहली बार है कि सैनी माली, कुश्वाह, शाक्य एवं मौर्य समाज एक साथ एक मंच पर एकत्रित होगा. उन्होंने बताया कि इस माली महासंगम को सफल बनाने के लिए सम्भाग स्तर पर, जिला स्तर एवं ब्लॉक स्तर पर बैठकें करते हुए आमजन को महासंगम का भागीदार बनाने की मुहिम चलाने का आव्हान किया जाएगा.
महासंगम के मुख्य उद्देश्य
- आरक्षण हमारा हक है जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी , जातिगत जनगणना 2011 के आंकड़े जारी करो.
- 8 मार्च को शिक्षा की देवी सावित्री बाई फुले के नाम राजकीय कार्यक्रम घोषित हो.
- माता सावित्री बाई फुले को भारत रत्न से नवाजा जाए.
- आरक्षण की मांग करने वाले समाज बंधुओं पर गलत तरीके से दर्ज मुकदमे वापस हो.
- माली समाज को जातिगत जनगणना के अनुसार अलग से आरक्षण दिया जाए.
- ओबीसी आरक्षण 21% से बढ़ाकर 27% करें.
- प्रत्येक जिलों में महात्मा फुले, सावित्री बाई फुले के नाम से भूखण्ड आवेदन एवं छात्रावास बनाया जाए.
- प्रतिभावान छात्राओं को छात्रवृत्ती, साईकिल स्कूटर एवं उच्च शिक्षा में निःशुल्क शिक्षा की सुविधा दी जाए.
- राजनैतिक दलों द्वारा समाज के प्रतिनिधियों को उचित सम्मानजनक प्रतिनिधित्व दिया जाए.
- नए संसद भवन में भी पुराने भवन की भांति महात्मा फुले एवं सावित्री बाई फुले की मूर्ति स्थापित की जाए.
- शिक्षा के केन्द्र विश्वविद्यालयों में महात्मा फुले एवं सावित्री बाई फुले के नाम से शोधपीठ का गठन किया जाए.
इन समाज की हो चुकी महापंचायत : बता दें कि विधानसभा 2023 के चुनाव के बीच राजस्थान में पहले ही राजपूत , जाट , ब्राह्मण , एसएसी-एसटी समाज की ओर से पहले ही महापंचायत करके अपने अपनी मांगों को लेकर सरकार के ऊपर दबाव बनाया जा चुका है . चुनावी माहौल में राजनीतिक पार्टियों पर संख्या बल के हिसाब से भी दबाव बनाने की कोशिश होती है . ताकि टिकट बटवारें के वक्त यक दबाव रहे .