जयपुर.राजस्थान में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होना है. ऐसे में कांग्रेस-भाजपा के साथ ही तमाम सियासी पार्टियां अब आम जनता से जुड़े मुद्दों को लेकर घोषणा पत्र तैयार करने में जुटी हैं. वहीं, चुनाव से पहले जाति संगठनों ने भी राजनीतिक दलों के समक्ष अपनी मांगों को रखना शुरू कर दिया है. इसी कड़ी में गुरुवार को राज्य की अनुसूचित जाति वर्ग के संगठनों की ओर से एक घोषणा पत्र जारी किया गया, जिसमें समाज की समस्याओं और मुद्दों को रखा गया है. साथ ही सियासी पार्टियों से मांग की गई है कि वो अपने घोषणा पत्रों में उनके मुद्दों को भी शामिल करें.
50 जिलों की यात्रा के बाद तैयार हुआ घोषणा पत्र - अनुसूचित जाति अधिकार अभियान के संयोजक व पूर्व पुलिस महानिरीक्षक सत्यवीर सिंह ने बताया कि राजस्थान की 18% अनुसूचित जाति की आबादी के मुद्दों को लेकर दलित घोषणा पत्र बनाया गया है. इसे बनाने से पहले राज्य भर में एक माह तक सामाजिक न्याय यात्रा निकाली गई. जिसके जरिए 50 जिलों के 100 स्थानों पर जन संवादों के जरिए विस्तृत विचार विमर्श किया गया और फिर जो मुद्दे सामने आए उन्हें इस घोषणा पत्र में शामिल किया गया.
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सत्यवीर सिंह ने बताया कि घोषणा पत्र जारी करने से पहले अनुसूचित जाति अधिकार अभियान राजस्थान की ओर से इंदिरा गांधी पंचायती राज संस्थान में आयोजित जन मंच के दौरान राजनीतिक दलों के साथ संवाद भी किया गया. इसमें कांग्रेस की घोषणा पत्र समिति के सदस्य और युवा बोर्ड के अध्यक्ष सीताराम लांबा, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के युवा प्रदेशाध्यक्ष रणदीप सिंह चौधरी, आम आदमी पार्टी के जयपुर लोकसभा क्षेत्र के अध्यक्ष अर्चित गुप्ता, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के डॉ. संजय माधव, भाकपा माले की नेता कामरेड मंजू लता समेत अन्य मौजूद रहे.
राजनीतिक दलों से की ये मांग - सत्यवीर सिंह ने बताया कि राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से इस दलित घोषणा पत्र में शामिल सभी मुद्दों को उनके चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करने की मांग की गई है. साथ ही दलों की ओर से भी आश्वासन दिया गया है, वो उनकी मांगों को अपने घोषणा पत्र में शामिल करेंगे.
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वहीं, घोषणा पत्र के मुख्य बिंदुओं पर एडवोकेट सतीश कुमार और डॉ. नवीन नारायण ने अपनी बात रखी. वहीं, निखिल डे ने दलित संगठनों की ओर से राज्य भर में घोषणा पत्र निर्माण के लिए की गई यात्रा की सराहना की. साथ ही उन्होंने तैयार दस्तावेज को ऐतिहासिक करार दिया. उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान निगरानी रखनी होगी कि किस दल ने उनकी मांगों और मुद्दों को अपने घोषणा पत्र में शामिल किया है. उन्होंने कहा कि अधिकार मांगना हम सबका हक है. सरकारें इन्हें देकर कोई खैरात नहीं कर रही है. अनुसूचित जाति अधिकार अभियान राजस्थान के सह संयोजक भंवर मेघवंशी ने कहा कि हम इस ऐतिहासिक दस्तावेज को राजस्थान के हर विधानसभा क्षेत्र तक लेकर जाएंगे. साथ ही चुनाव लड़ रहे हर उम्मीदवारों की समाज के लिए जिम्मेदारी और जवाबदेही तय करेंगे.