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Rajasthan Assembly Election 2023 : सियासत में दांव आजमाने को तैयार ब्यूरोक्रेट्स, भाजपा पहली पसंद, अब तक 24 से अधिक ने थामा हाथ

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 12, 2023, 6:39 PM IST

राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ-साथ प्रशासनिक कमान संभाल चुके ब्यूरोक्रेट्स भी सियासत में दांव आजमाना चाह रहे हैं. इस बार ब्यूरोक्रेट्स की पहली पसंद बीजेपी कही जा सकती है, क्योंकि अब तक 24 से ज्यादा अधिकारियों ने भाजपा का दामन थामा है. वहीं, कांग्रेस की बात करें तो बामुश्लिक एक या दो नाम हैं, जिन्होंने कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है.

Rajasthan Assembly Election 2023
Rajasthan Assembly Election 2023

सुनिए ब्यूरोक्रेट्स की क्या है राय

जयपुर.प्रदेश में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सियासी दल तैयारियों को धार दे रहे हैं. कांग्रेस-बीजेपी दोनों प्रमुख दलों के साथ ही कुछ अन्य स्थानीय और बाहरी दल भी दमखम दिखाने लगे हैं. इन सब के बीच प्रदेश के नौकरशाहों की नजर भी विधानसभा चुनावी मैदान पर है. अलग-अलग पेशे से जुड़े अफसर कांग्रेस और भाजपा के टिकट से इस बार चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में हैं. इतना ही नहीं बाहरी दलों से भी नौकरशाह चुनाव में भाग्य आजमाना चाहते हैं. ब्यूरोक्रेट्स की पहली पसंद बीजेपी है. बीजेपी से 2 दर्जन से ज्यादा नौकरशाह चुनाव में टिकट की दावेदारी कर रहे हैं.

बीजेपी पहली पसंद :नौकरशाहों का चुनावी मैदान में भाग्य आजमाने का ये पहला मामला नहीं है. राजस्थान ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों में भी ब्यूरोक्रेट्स किसी न किसी राजनीतिक दल के साथ चुनावी मैदान में उतरे हैं और जीतकर भी आएं हैं. कुछ अधिकारी सेवानिवृत्ति के बाद राजनीति में भाग्य आजमाते हैं तो कुछ स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर चुनावी रण में कूद पड़ते हैं. राजस्थान में भी नौकरशाहों का राजनीतिक पार्टियों का दामन थामने का सिलसिला जारी है. इस बार रोचक बात यह है कि ब्यूरोक्रेट्स की पहली पसंद बीजेपी दिख रही है.

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पूर्व जज, कलेक्टर से लेकर डॉक्टर, प्रोफेसर भी शामिल : पिछले दिनों 24 से ज्यादा अधिकारियों ने भाजपा में अपना विश्वास जताते हुए पार्टी की सदस्यता ग्रहण की. इनमें से किसी भी अधिकारी ने सीधे तौर पर चुनाव लड़ने की इच्छा नहीं जताई, लेकिन पार्टी की तरफ से टिकट मिलने पर मनाही भी नहीं की है. प्रदेश में दो दर्जन सीटों पर प्रशासनिक सेवा से जुड़े अफसर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं. इनमें पूर्व जज, कलेक्टर, डिप्टी कलेक्टर, आईएएस, डॉक्टर, प्रोफेसर आईपीएस, पूर्व मुख्यमंत्री ओएसडी, कर्मचारी नेता शामिल हैं. पूर्व प्रशासनिक अधिकारी अब पार्टी की रीति-नीति और राष्ट्रवादी विचारधारा से जुड़कर संगठन में काम करने की दुहाई दे रहे हैं, लेकिन इनमें से अधिकतर की निगाह चुनावी मैदान पर है.

राजस्थान की राजनीति में ब्यूरोक्रेट्स

यहां से चुनाव लड़ने की इच्छा : जानकारों की मानें तो पूर्व IAS चंद्रमोहन मीणा बस्सी से, पूर्व IPS रामदेव सिंह खंडेला से, पूर्व IAS कैलाश चंद्र वर्मा, पूर्व IAS सत्यपाल सिंह भादरा, पूर्व RAS खेमराज खोलिया बगरू से, कर्मचारी नेता महेश व्यास बीकानेर से, एमपी के पूर्व डीजीपी रहे पवन कुमार जैन राजाखेड़ा से, पूर्व RAS माताराम रिणवा डेगाना विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा रखते हैं. रिटायर्ड अधिकारी माताराम रिणवा ने कहा कि बीजेपी राष्ट्रवादी पार्टी है. मौजूदा दौर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी देश को आगे बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं, उनकी विचारधारा से प्रभावित होकर बीजेपी का दामन थामा है. पार्टी अगर चुनाव लड़ने के लिए आदेश देगी तो डेगाना से चुनाव लड़ने की इच्छा है.

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ये हुए बीजेपी में शामिल : पिछले दिनों भाजपा में 24 से अधिक अधिकारियों ने बिना किसी शर्त के पार्टी की सदस्यता ली. इसमें रिटायर्ड जज किशनलाल गुर्जर, पूर्व इनकम टैक्स अधिकारी ओमप्रकाश पहाड़िया, पूर्व मुख्य आयकर आयुक्त के आर मेघवाल, पूर्व मुख्य आयकर आयुक्त नरेंद्र गौड़, इनकम टैक्स ऑफिसर ओमप्रकाश मीणा, मध्य प्रदेश के पूर्व DGP पवन कुमार जैन, पूर्व रेलवे में अधिकारी किशन लाल मेघवाल, पूर्व IAS चंद्रमोहन मीणा, पूर्व IAS पृथ्वीराज मीणा, पूर्व IAS डॉ. सत्यपाल सिंह, पूर्व IAS भंवर लाल मेघवाल का नाम शामिल है.

इसी तरह पूर्व IAS कैलाश चंद्र वर्मा, पूर्व IAS हनुमान सिंह भाटी, पूर्व आईपीएस गोपाल मीणा, पूर्व IPS रामदेव सिंह, पूर्व आईपीएस सीआर मीणा, पूर्व आईपीएस जसवंत संपतराम, पूर्व आईपीएस मनोज शर्मा, अतिरिक्त आयुक्त स्टेट GST दिनेश रंगा, पूर्व आईपीएस महेश भारद्वाज, सेवानिवृत जिला शिक्षा अधिकारी राजाराम मीणा, पूर्व RPS खेमराज खोलिया, पूर्व RAS माताराम रिणवा, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पूर्व में ओएसडी रहे महेंद्र शर्मा और सचिवालय कर्मचारी नेता महेश व्यास भी बीजेपी में शामिल हुए हैं.

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कांग्रेस नहीं ब्यूरोक्रेट्स की पसंद :विधानसभा चुनाव से पहले जिस तरह से ब्यूरोक्रेट्स भाजपा का दामन थाम रहे हैं, ये रुझान कांग्रेस की तरफ देखने को नहीं मिल रहा है. कांग्रेस से चुनाव लड़ने वाले अधिकारियों की अगर बात करें तो पूर्व मुख्य सचिव निरंजन आर्य का नाम सबसे ऊपर आता है. निरंजन आर्य मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सलाहकार भी रहे हैं. निरंजन आर्य की पत्नी संगीता आर्य पूर्व में सोजत से विधानसभा चुनाव लड़ चुकी हैं. इस बार निरंजन आर्य सोजत विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की दावेदारी कर रहे हैं.

कांग्रेस की तरफ से चुनाव लड़ने की नहीं रखते इच्छा : इसके अलावा दूसरा नाम कर्मचारी चयन बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष हरिप्रसाद का आता है, जिन्होंने फुलेरा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है. पूर्व आईएएस जगरूप यादव ने भी कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की है. कुछ कर्मचारी नेताओं को छोड़ दें तो इस बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सीट पर ज्यादा अधिकारी चुनाव लड़ने की इच्छा नहीं रख रहे हैं.

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समाज के लिए कार्य करने का राजनीति बड़ा माध्यम : पूर्व IAS राजेंद्र भाणावत बताते हैं कि जब भी चुनाव आते हैं तो कुछ रिटायर्ड अधिकारी और कुछ स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर अधिकारी चुनाव लड़ने की मंशा रखते हैं. प्रशासनिक सेवा में लगातार काम करने के बाद उन्हें लगता है कि समाज के बीच में कार्य करने के लिए राजनीति एक बड़ा माध्यम है. जिस पार्टी से उनकी विचारधारा जुड़ी रहती है, वो उस पार्टी से चुनाव लड़ने या पार्टी की सदस्यता ले लेते हैं.

ज्यादातर ब्यूरोक्रेट्स पहले कांग्रेस पार्टी में थे : उन्होंने कहा कि मौजूदा दौर में देश में बीजेपी की सरकार है. जिस तरह से परिवर्तन की बयार चल रही है, उसमें ब्यूरोक्रेट्स को लगता है कि बीजेपी सुरक्षित पार्टी है, जिसकी मदद से चुनाव लड़ भी सकते हैं और जीतकर भी आ सकते हैं. ऐसे में ज्यादातर ब्यूरोक्रेट्स बीजेपी ज्वाइन करने की मंशा रखते हैं. पीछे के आंकड़ों को देखें तो ज्यादातर ब्यूरोक्रेट्स पहले कांग्रेस पार्टी में थे. अधिकारी कांग्रेस की सीट पर चुनाव लड़े भी हैं और विधानसभा और लोकसभा तक पहुंचे भी हैं.

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