राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

राजस्थान की राजनीति में बढ़ता केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल का कद, कांग्रेस पर 'स्ट्राइक' की तैयारी में भाजपा

Meghwal in Rajasthan Politics, राजस्थान की राजनीति में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल का कद लगातार बढ़ता जा रहा है. आजादी के बाद बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के बाद मेघवाल देश के दूसरे दलित कानून मंत्री बने हैं. जानिए भाजपा की ये खास रणनीति...

Meghwal in Rajasthan Politics
दलित वोट के लिए भाजपा का दांव

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 24, 2023, 8:39 PM IST

जयपुर. राजस्थान में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी की नजरें कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक पर है. यही वजह है कि भाजपा केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के कद को लगातार बढ़ा रही है. पहले मेघवाल को कानून मंत्री बनाया गया, उसके बाद अब उन्हें चुनाव संकल्प समिति का संयोजक बनाकर आगामी विधानसभा चुनाव की बड़ी जिम्मेदारी दी गई है. इतना ही नहीं, दलित समाज के बड़े आयोजनों में मेघवाल की सक्रियता इस बात की ओर इशारा कर ही है कि भाजपा उन्हें प्रदेश के बड़े दलित नेता के रूप में आगे कर कांग्रेस की परंपरागत वोट बैंक में सेंधमारी करना चाह रही है.

आजाद भारत में दूसरे दलित कानून मंत्री : दरअसल, राजस्थान में दलित कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक रहा है. इस परंपरागत वोट बैंक को रिझाने के लिए अब केंद्र के भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने प्रदेश के दलित सांसद और केंद्र में कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल को बड़ी जिम्मेदारी के साथ आगामी राजस्थान विधानसभा चुनाव के मैदान में उतार दिया है. हाल ही में केंद्रीय नेतृत्व की ओर से बनाई गई कमेटियों में से एक चुनाव संकल्प कमेटी का संयोजक अर्जुन मेघवाल को बनाया गया.

पढ़ें :Rajasthan Assembly Election 2023: इस बार घोषणा पत्र नहीं संकल्प पत्र जारी करेगी बीजेपी, ऐसे होगा तैयार

अर्जुन मेघवाल देश के उन दलित नेताओं में से एक हैं जो आजाद भारत में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के बाद दूसरे कानून मंत्री बने हैं. दलित सांसद को कानून मंत्री बनाए जाने के बाद अब खुद मेघवाल दलित समाज के कार्यक्रम में इस बात पर जोर देते हुए कहते हैं कि संसद की जब मंत्रियों की सूची में देखा जाता है तो आजाद भारत के पहले मंत्रिमंडल में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर एकमात्र दलित नेता थे, जिन्हें कानून मंत्री बनाया गया. उसके बाद इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुझे कानून मंत्री बनाया. यह भाजपा की सोच है कि दलित समाज आगे बढ़े, जबकि कांग्रेस ने कभी भी दलित समाज को प्राथमिकता नहीं दी.

दलित के नाम पर बड़ा चेहरा : मेघवाल का कद जिस तरह से भाजपा का केंद्र नेतृत्व लगातार बढ़ा रहा है, उससे यह भी संकेत मिल रहे हैं कि 2023 के चुनाव परिणाम में बहुमत के साथ भाजपा की सरकार बनती है तो दलित के नाम पर अर्जुन राम मेघवाल को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है. 2024 के लोकसभा चुनाव में दलित समाज में एक बड़ा मैसेज देने के लिए भाजपा मेघवाल पर दांव खेल सकती है. जिस तरह से उनकी लगातार राजस्थान में सक्रियता बड़ी है, उसको देखते हुए राजनीतिक पंडित भी इस बात की ओर इशारा करते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा अपने फैसलों को लेकर चौंकाते रहे हैं. इसलिए इसमें कोई बड़ी बात नहीं है कि मेघवाल राजस्थान के दलित मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में सामने आ जाएं.

पढ़ें :Rajasthan Politics : सरकार दो खेमों में बंटी, विधानसभा में बोलने पर मंत्री भी सुरक्षित नहीं - अर्जुन राम मेघवाल

ज्वाइनिंग कमेटी का संयोजक बनाया : भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने अर्जुन राम मेघवाल का कद ज्वाइनिंग कमेटी का संयोजक बनाकर भी बढ़ाया. राजस्थान में किसे भाजपा की सदस्य दिलानी है और किसं नहीं, यह निर्णय लेने का अधिकार अर्जुन राम मेघवाल के पास ही है. खास बात यह है कि अर्जुन मेघवाल ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खासम खास रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री देवी सिंह भाटी को भी भाजपा में अब तक एंट्री नहीं करने दी. देवी सिंह भाटी और अर्जुन राम मेघवाल की अदावत सबके सामने है. ऐसे में मेघवाल का भाजपा में कैसा कद है, इसका अंदाजा देवी सिंह भाटी की नो एंट्री से लगाया जा सकता है. इतना ही नहीं, वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी नजदीकी माने जाते हैं. दलित समाज के मुद्दों को लेकर मेघवाल हमेशा केंद्र में मजबूती से पैरवी करते रहे हैं.

30 फीसदी वोट बैंक : प्रदेश की राजनीतिक समीकरण के हिसाब से देखा जाए तो राजस्थान में 13 फीसदी ST और 17 फीसदी SC का वोट बैंक है. रिजर्व सीटों की बात की जाए तो ST 25 और SC 34 सीटें हैं, लेकिन इसके अलावा भी कई सामान्य सीटों पर ST-SC अपना प्रभाव रखती है. लिहाजा सामान्य सीटों से भी इस वर्ग के उम्मीदवार जीत कर आते हैं. मौजूदा वक्त में ST के पास 32 और SC के 35 विधायक हैं जो अलग-अलग पार्टियों से जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं. ST वर्ग का दावा रहा है कि प्रदेश में उनका करीब 40 से अधिक सीटों पर सीधा प्रभाव है, जबकि SC वर्ग भी इतनी ही सीटों से ज्यादा पर अपना प्रभाव रखता है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details