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Rajasthan Assembly Election 2023 : पहली लिस्ट से मायूस बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा ने की टिकट की मांग, कहा-पार्टी भरोसा जताए तो खिलाएंगे कमल

राजस्थान विधानसभा के चुनावी रण में पार्टियां उतर गई हैं. इस बीच भाजपा पहली सूची जारी कर चुकी है और दूसरी सूची पर मंथन चल रहा है. पहली सूची में अल्पसंख्यक चेहरे नहीं आने पर अब अल्पसंख्यक मोर्चा ने फिर से टिकट की मांग को दोहराया है. उन्होंने अल्पसंख्यक बहुल सीट पर टिकट देने (BJP Minority Wing Demands Ticket) की मांग रखी है.

BJP Minority Wing Demands Ticket
बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्ची ने की टिकट की मांग

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 18, 2023, 7:51 PM IST

बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्ची ने की टिकट की मांग

जयपुर.राजस्थान में बीजेपी सत्ता हासिल करने के लिए जोर आजमाइश कर रही है. पार्टी प्रत्याशियों की पहली सूची कर चुकी है, लेकिन 41 प्रत्याशियों की सूची में बीजेपी ने एक भी अल्पसंख्यक को टिकट नहीं दिया. जिन सीटों पर उम्मीदवार उतारे गए हैं उनमें से पांच सीटें ऐसी हैं, जहां अल्पसंख्यक समाज अपना प्रभाव रखता है. पहली लिस्ट से मायूस अल्पसंख्यक मोर्चा ने अब आने वाली सूचियों में समाज को उचित प्रतिनिधित्व देने की मांग की है. अल्पसंख्यक मोर्चा का दावा है कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व मुस्लिम समाज के उम्मीदवार को चुनावी मैदान में उतारता है तो कमल का फूल खिलाएंगे.

पहली सूची में हाथ लगी मायूसी :भाजपा की पहली सूची आने के बाद टिकट के दावेदारों में कई तरह की चर्चाएं हैं. कुछ विरोध कर रहे हैं तो कुछ आने वाली सूची में दावेदारों पर कयास लगा रहे हैं. इस बीच अल्पसंख्यक मोर्चा ने भी अपनी दावेदारी को ताकत दी है. पहली सूची से मायूस मोर्चा ने अगली सूचियों में समाज को उचित प्रतिनिधित्व देने की मांग उठाई है. अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष हमीद खान मेवाती ने कहा कि प्रदेश में 40 ऐसी विधानसभा सीटें हैं, जो अल्पसंख्यक बाहुल्य हैं. इन सभी सीटों पर अल्पसंख्यक मोर्चा केंद्र सरकार की योजनाओं को लेकर काम कर रहा है. कांग्रेस की मुस्लिम विरोधी नीतियों और मोदी सरकार की अल्पसंख्यक समाज के लिए किए गए कामों को जनता तक पहुंचाया जा रहा है.

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अल्पसंख्यक समाज को तरजीह दें : खान ने बताया कि पहली सूची में एक भी अल्पसंख्यक समाज के दावेदार को टिकट नहीं मिला, जबकि 41 सीटों में से पांच सीटें ऐसी हैं, जहां पर अल्पसंख्यक समाज प्रभाव रखता है और अपनी दावेदारी भी कर रहा था. इनमें मंडावा, झुंझुनू, फतेहपुर, तिजारा और नगर विधानसभा सीट शामिल हैं. पार्टी ने यहां पर अल्पसंख्यक समाज को मौका नहीं दिया, फिर भी हम पार्टी के प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित करेंगे. मेवाती ने कहा कि अभी भी कामां, हवामहल, कोटा उत्तर, डीडवाना, नागौर ऐसी सीटें हैं, जहां पर 50 हजार से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं. अल्पसंख्यक मोर्चा पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से मांग करता है कि आने वाली प्रत्याशियों की सूची में अल्पसंख्यक समाज को तरजीह दें.

2018 में सिर्फ एक टिकट :प्रदेश में बीजेपी मुस्लिम दावेदारों को टिकट देने से हर बार बचती रही है. राजस्थान में 40 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम मतदाताओं की काफी अच्छी संख्या है. हालांकि, आंकड़े बताते हैं कि हर बार चुनाव में बीजेपी अल्पसंख्यक समाज के टिकटों में कटौती करती आ रही है. वर्ष 2018 में बीजेपी ने पूर्व मंत्री यूनुस खान के अलावा किसी भी मुस्लिम नेता को टिकट नहीं दिया. यूनुस खान टोंक विधानसभा सीट से पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के खिलाफ चुनाव लड़े थे. टोंक विधानसभा सीट मुस्लिम मतदाताओं का गढ़ है, लेकिन बावजूद इसके सचिन पायलट के सामने यूनुस खान नहीं टिक पाए और उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा.

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4 में से दो पर पाई थी जीत :इससे पहले के चुनाव की बात करें तो 2013 में 4 अल्पसंख्यक समाज के नेता को टिकट दिए थे, जिसमें से 2 नेता यूनुस खान ने डीडवाना से और हबीबुर्रहमान ने नागौर से जीत दर्ज की थी. अब्दुल सगीर धौलपुर से और सलीम तंवर मंडावा से हार गए थे. इससे पहले की बात करें तो 2008 में बीजेपी ने चार मुस्लिम नेताओं को टिकट दिया, जिसमे यूनुस खान को डीडवाना, नसरु खान को कामां और अब्दुल सगीर को धौलपुर से टिकट दिया था.

40 सीटों पर अल्पसंख्यक समाज :प्रदेश में 200 विधानसभा सीटें हैं, जिसमें से 40 ऐसी विधानसभा सीटें हैं जहां अल्पसंख्यक समाज अपना हार जीत का प्रभाव रखता है. इसमें हवा महल, किशनपोल, आदर्श नगर, सिविल लाइन्स, सीकर, फतेहपुर, लक्ष्मणगढ़, झुंझुनू, सरदारपुरा, सूरसागर, फलोदी, पोकरण, जैसलमेर, बाड़मेर, शिव चौहटन, बीकानेर पश्चिम, बीकानेर पूर्व, खाजूवाला, पुष्कर, सूदा, टोंक, कोटा उत्तर, लाडपुरा, नागौर शहर, मकराना, डीडवाना, लाडनूं, नगर, कामां, तिजारा, किशनगढ़ बास, अलवर ग्रामीण, रामगढ़, सवाई माधोपुर, झालरापाटन, बूंदी, चूरू, धौलपुर, श्रीगंगानगर शामिल हैं.

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