जयपुर. राजस्थान में चुनावी रणभेरी बज चुकी है. राजनीतिक दलों की ओर से तैयार की जा रही रणनीति के साथ ही दल बदलने की सियासत भी गरमाई हुई है. चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर कई नेताओं ने भाजपा का दामन थामा है. इस कड़ी में सर्वाधिक चर्चा दिग्गज जाट परिवार से आने वाली नागौर की पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा की है. भाजपा में शामिल हो चुकीं ज्योति मिर्धा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कांग्रेस से लेकर सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच समझौते समेत हर सवाल का बेबाकी से जवाब दिया. उन्होंने यह भी दावा किया कि राजस्थान में सरकार भाजपा की बन रही है.
आरएलपी को मुख्यमंत्री गहलोत सींच रहे हैंःईटीवी भारत से बातचीत में ज्योति मिर्धा ने कहा कि नागौर में हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सींच रहे हैं. वहीं, कांग्रेस कार्यकर्ता तमाशा देखने के अलावा कुछ नहीं कर सकता. ज्योति मिर्धा ने कहा कि हर छोटी बात के लिए कांग्रेस की फर्स्ट फैमिली गांधी परिवार से शिकायत नहीं की जा सकती.
ईमानदारी से काम करने का उठाया खामियाजाः कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने के बाद कई नेताओं ने कहा कि ज्योति मिर्धा पहले ही सक्रिय नहीं थीं. इस सवाल का जवाब देते हुए ज्योति मिर्धा ने कहा कि मैं तो कांग्रेस संगठन से पूछना चाहती हूं कि पिछले साढ़े तीन साल से नागौर में किसके कहने से काम हो रहे थे?. नागौर और खींवसर में किस नेता की बात सुनी जा रही थी, क्योंकि जो लोग नागौर से चुनाव या उपचुनाव लड़े उनकी अनदेखी हो रही थी. जब हमारे कार्यकर्ताओं के काम अपने ही राज में नहीं करवा सके तो एक गिल्ट तो रहता ही है. पार्टी हमारी कोई और थी और काम हमारी सरकार में हम दूसरी पार्टी के करवा रहे थे. उन्होंने कहा कि हम आरएलपी को सींचने में लगे थे, इसलिए मुझे लेकर कई नेताओं ने कहा कि मैं सक्रिय नहीं थी. हरीश चौधरी जो खींवसर उपचुनाव के समय नागौर में प्रभारी थे, उस समय पूरा संगठन मेरे हाथ में था और मैंने ईमानदारी से काम किया. उसी ईमानदारी का खामियाजा उठाना पड़ा है. जितनी ईमानदारी से काम करोगे, उतनी ही पॉजिशन खराब हो जाती है.
हरीश ने सही कहा- आरएलपी गहलोत की प्रायोजित पार्टीः ज्योति मिर्धा ने कहा कि यह एक ओपन सीक्रेट है कि सरकार भले ही कांग्रेस की है, लेकिन वो काम आरएलपी के करवा रही थी. ये कोई छिपी हुई बात नहीं थी. नागौर का बच्चा-बच्चा इस बात को जानता है. उन्होंने कहा कि भाजपा से बेनीवाल ने रिश्ता क्यों तोड़ा, उसके पीछे कारण भी वो नहीं था जो बेनीवाल प्रचारित कर रहे हैं. दरअसल, हनुमान बेनीवाल को अपने सर्मथकों के काम करवाने के लिए राज्य सरकार की मदद की जरूरत थी तो उन्होंने पायलट के समय सरकार में आई अस्थिरता के दौरान मौका देखते ही राजस्थान सरकार में पैर जमाने की कोशिश की. उस समय उन्होंने मौका मिलते ही गहलोत सरकार को सर्मथन दिया. उस दिन से उनका काम शुरू हो गया और तब से कांग्रेस और हनुमान बेनीवाल के बीच अंडरस्टैंडिंग है. ज्योति मिर्धा ने कहा कि ये बात मैं नहीं बोलती, बल्कि दिव्या मदेरणा, सचिन पायलट भी बोलते हैं. हरीश चौधरी तो यह बोल चुके हैं कि वह गहलोत की प्रायोजित पार्टी है.
खींवसर से चुनाव लड़ने पर चमकी आंखें, बताया पहली पसंदः भाजपा में आने के पीछे पार्टी को मजबूती देने या हनुमान बेनीवाल से राजनीतिक हिसाब पूरा करने के सवाल पर ज्योति मिर्धा ने जवाब दिया. उन्होंने कहा कि हनुमान बेनीवाल भले ही कहें कि उन्होंने मिर्धा परिवार को कमजोर किया है, लेकिन परिस्थितियां जमीनी स्तर पर अलग हैं. उन्होंने कहा कि रही बात हनुमान बेनीवाल की तो राजनीति में कोई ये गोल नहीं रख सकता. मेरे लिए भाजपा में आना नेशन बिल्डिंग में अपना योगदान देने का मामला है. भाजपा में रहकर मैं पॉजिटीव काम कर सकूं, ये मेरा लक्ष्य है और हमारा मुख्य काम जनता की सेवा करना है. उन्होंने कहा कि पहले राजस्थान में भाजपा की सरकार बने और फिर लोकसभा में 'मोदीजी' की सरकार बनाएं, उसके बाद हम भी हाथ बंटाएंगे. जहां पार्टी मेरा इस्तेमाल करना चाहती है, वहां ज्योति मिर्धा तैयार है. उन्होंने कहा कि चाहे पार्टी सांसद लड़ाए या विधायकी मैं तैयार हूं, लेकिन जैसे खींवसर की बात हुई आंखों में चमक लाते हुए ज्योति मिर्धा ने कहा कि खींवसर से चुनाव लड़ने के लिए तो मैं ज्यादा तैयार हूं.