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Special : यहां शहद से मीठे हैं खरबूजे तो केसर के रंग का है तरबूज, फलों की ये है खासियत... - New variety of Muskmelon and Watermelon

खरबूज और तरबूज का नाम सुनते ही आपके जहन में पीले और लाल रंग का फल आने लगता है. आज आपको बताएंगे ऐसे तरबूज के बारे में जो अंदर से लाल नहीं बल्कि केसरी रंग का है और खरबूज जो शहद सा मीठा (Muskmelon Sweet as Honey) है. पढ़िए ये रिपोर्ट...

New variety of Muskmelon and Watermelon
खरबूज और तरबूज की नई किस्म

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Published : May 22, 2023, 8:23 PM IST

Updated : May 22, 2023, 10:03 PM IST

खरबूज और तरबूज की नई किस्म

जयपुर.आम तौर पर बाजार में गर्मियों के मौसम में तरबूज और खरबूजे की बहार आ जाती है. आज हम आपको खास तरीके के खरबूज और तरबूज के बारे में बताएंगे जो जयपुर के दुर्गापुरा कृषि अनुसंधान केन्द्र में उन्नत की गई है. इन दोनों फलों की खासियत यह है कि दोनों ही बाजार में बिकने और दिखने वाले अपनी नस्ल के फ्रूट्स से अलग हैं. चाहे बात जायके की हो या फिर दिखने की, हर मामले में यह फल अलग नजर आएंगे. इन फलों पर शोध का काम किया जा रहा है, ताकि लोगों के बीच इनको ज्यादा से ज्यादा लोकप्रिय बनाया जा सके.

मधु मस्क मेलन है शहद सा मीठा :जोबनेर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बलराज सिंह ने बताया कि आम तौर पर मिठास के मुताबिक ही खरबूजे की क्वालिटी को मापा जाता है. ऐसे में जयपुर में दुर्गापुरा पर जारी शोध के बीच खरबूजे को मीठा बनाने के बाद अब इसके सेल्फ लाइफ को बढ़ाने पर रिसर्च की जा रही है. RARI यानी राजस्थान कृषि अनुसंधान केन्द्र ने मधु मस्क मेलन के नाम से यह किस्म उन्नत की थी. ये दिखने में देसी काकड़ी (राजस्थानी सब्जी) जैसा था. इसके पीछे मकसद शहद सा मीठा और बिना हाइब्रिड वाला खरबूजा तैयार करना था. लिहाजा इस पर काम करते हुए अब काफी हद तक कामयाबी मिल गई है.

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कम होती है सेल्फ लाइफ : उन्होंने बताया कि दुर्गापुरा मधु के नाम से पहचानी जाने वाली इस किस्म की सेल्फ लाइफ काफी कम है. खेत से निकालने के 24 से 36 घंटे के बाद इसे व्यापारिक इस्तेमाल में नहीं लाया जा सकता. ऐसे में दुर्गापुरा मधु को लोकप्रिय बनाने के मकसद से काम रफ्तार के साथ जारी है. इसकी सेल्फ लाइफ को बढ़ाने के लिए ऊपरी परत को मोटा करने की कोशिश की जा रही है.

शहद से मीठे हैं खरबूज...

केसरी तरबूज की है कई खासियत :तरबूज का नाम आते ही हरे रंग की परत वाले लाल-लाल मतीरों (स्थानीय भाषा में तरबूज का नाम) की तस्वीर जहन में आती है. RARI दुर्गापुरा ने इसके मुकाबले ज्यादा मीठे और फाइबर गुणों वाले तरबूज की किस्म को विकसित किया है. डॉ. बलराज सिंह ने बताया कि इस तरबूज में अंदर का हिस्सा हल्का पीला यानी केसरी रंग का होता है. काटने के बाद अंदर से यह सफेद बीज के साथ कटे हुए कद्दू की तरह से दिखता है, जबकि इसका फूल सफेद होता है. हालांकि इसका स्वाद काफी मीठा होता है. ये है दुर्गापुरा केसरी तरबूज.

ये है केसर के रंग के तरबूज...

चौकोर तरबूज बनाने की तैयारी : उन्होंने बताया कि फिलहाल बाजार में इस तरबूज को कारोबारी इस्तेमाल के लिए मुहैया नहीं करवाया गया है. कुछ और शोध करने के जल्द ही इसे बाजार में भी भेजा जाएगा. इसकी मिठास बढ़ाने के साथ ही इसे ट्रांसपोर्ट फ्रेंडली बनाने के लिए लगातार काम जारी है. कुलपति डॉ. बलराज सिंह ने बताया कि जापान की तर्ज पर तरबूज को चौकोर बनाने की भी कोशिश की जा रही है.

Last Updated : May 22, 2023, 10:03 PM IST

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