जयपुर.गुजरात विधानसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद अब कांग्रेस आलाकमान (Brainstorming on Gujarat defeat) हार की वजहों पर मंथन की तैयारी में है. प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय नेता तक गुजरात के नतीजों को चिंताजनक बता रहे हैं. साथ ही ज्यादातर पार्टी के नेताओं ने इस हार के लिए राज्य पार्टी संगठन की कमजोरियों को इंगित किया है. ऐसे में गुजरात में प्रभारी के तौर पर संगठन की कमान राजस्थान के पूर्व मंत्री रघु शर्मा के हाथ में थी तो हार का ठीकरा भी उन्हीं के सिर फोड़ा जा रहा है. वहीं, हार के तुरंत बाद रघु शर्मा ने अपना इस्तीफा पार्टी (Raghu Sharma resignation politics) के अध्यक्ष मल्लिकार्जन खड़गे को भेजकर मास्टर स्ट्रोक खेल दिया है.
इधर, शर्मा ने गुजरात प्रभारी पद से इस्तीफा देकर 'एक तीर दो निशाना' लगाया है. खैर, यह बात किसी से छिपी नहीं है कि रघु शर्मा गुजरात के प्रभारी बनाए जाने के बाद भी चाहते थे कि वह राजस्थान में मंत्री पद पर बने रहे. कमोबेश यही स्थिति प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के साथ भी था, जो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के साथ ही मंत्री (Rajasthan political crisis) पद पर बने रहना चाहते थे. लेकिन इन दोनों नेताओं की इच्छाओं पर पंजाब के मौजूदा प्रभारी व राजस्थान के तत्कालीन राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने पानी फेरने का काम किया. उन्होंने कहा था कि वो एक साथ दो पदों की जिम्मेदारियों के साथ न्याय नहीं कर पा रहे हैं. लिहाजा प्रभारी बनने के उन्होंने मंत्री पद छोड़ दिया था. साथ ही उन्होंने 'एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत' की याद दिलाई थी.