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Protest against NMMS App: प्रदेश के 30 जिलों में 88 स्थानों पर धरना-प्रदर्शन - NMMS लागू करने का विरोध

नरेगा में NMMS ऐप लागू करने का विरोध शुरू हो गया (Protest against NMMS app) है. गुरुवार को नरेगा संघर्ष मोर्चा और सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान के आह्वान पर प्रदेश के 30 जिलों में 88 स्थानों पर धरना-प्रदर्शन किया गया.

Protest against NMMS app in Rajasthan
प्रदेश के 30 जिलों में 88 स्थानों पर धरना-प्रदर्शन

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Published : Feb 3, 2023, 1:36 AM IST

जयपुर. केंद्र सरकार के बजट में नरेगा में NMMS लागू करने का विरोध शुरू हो गया है. प्रदेश में गुरुवार को नरेगा संघर्ष मोर्चा और सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान के आह्वान पर प्रदेश के 30 जिलों में 88 स्थानों पर धरना-प्रदर्शन कर पीएम नरेंद्र मोदी के नाम ज्ञापन दिया गया. ज्ञापन में कहा गया है कि NMMS ऐप से ग्रामीण विकास विभाग भ्रष्टाचार रोकने का दावा कर रहा है, लेकिन उस दावे में कोई सच्चाई नहीं है. बल्कि यह ऐप मजदूरों को मजदूरी से वंचित कर रहा है.

NMMS मजदूरों को नहीं मिल रही मजदूरी: ज्ञापन में कहा कि NMMS (National Mobile Monitoring System) ऐप जो 1 जनवरी, 2023 से महात्मा गांधी नरेगा में उपस्थिति के लिए पूरी तरह लागू कर दिया गया है. यदि इंटरनेट या अन्य किसी कारण से ऐप में हाजिरी नहीं होती है, तो उन्हें मजदूरी नहीं मिलती है. ज्ञापन में कहा गया है कि इस प्रकार नरेगा मजदूरों से काम करवा लेना और उन्हें मजदूरी नहीं देना केंद्र सरकार की ओर से मजदूरों से बंधुआ मजदूरी कराना है.

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इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं: प्रधानमंत्री को दिए ज्ञापन में कहा गया है कि NMMS ऐप से ग्रामीण विकास विभाग भ्रष्टाचार रोकने का दावा कर रहा है, लेकिन उस दावे में कोई सच्चाई नहीं है. बल्कि यह ऐप मजदूरों को मजदूरी से वंचित कर रहा है. ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि कई जगहों पर आज भी इंटरनेट की कनेक्टिविटी नहीं है. इसी के साथ मोबाइल भी एक विशेष स्पेसिफिकेशन का चाहिए होता है. जो गरीब परिवारों के पास नहीं होता है. कई स्थानों पर मजदूरों की हाजिरी नहीं होने पर उन्हें कार्यस्थल से वापस लौटा दिया जाता है, जिससे उनके कई घंटे खराब हो जाते हैं.

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नरेगा को खत्म किया जा रहा: ज्ञापन में कहा गया है कि केंद्र की मोदी सरकार में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से 1 फरवरी को आगामी वर्ष के लिए पेश किये गए बजट में केवल 60 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया है जो बहुत ही कम है. पश्चिमी बंगाल में मजदूरों को 2021 से भुगतान नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार नरेगा को खत्म करना चाहती है, जो पूरे देश के लिए बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. नरेगा मांग आधारित कानून है, जिसमें बजट की रूकावट नहीं लगाई जा सकती है. वहीं हर वर्ष केंद्र सरकार की ओर कम बजट आवंटित कर इसे खत्म किया जा रहा है.

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नरेगा मजदूरी बढ़ाये जाने की मांग: ज्ञापन में महात्मा गांधी नरेगा की मजदूरी बढ़ाकर 800 रुपए प्रतिदिन किये जाने की भी मांग की. ज्ञापन के अनुसार मंहगाई के दौर में 231 रुपए बहुत ही कम मजदूरी है. सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों की तनख्वाहें बढ़ा दी जाती है, लेकिन श्रमिकों की मजदूरी में कोई बढ़ोतरी नहीं की जाती है.

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