जयपुर. परकोटा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हुए अवैध निर्माण विरासत को बचाने के लिए लागू कानून को मुंह चिढ़ाते दिखते हैं. बीते साल पूर्ववर्ती सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्ताव को यूनेस्को की ओर से ठुकरा दिया गया था. हालांकि अब जयपुर विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया गया है.
राजधानी जयपुर का प्राचीन वैभव लौटाने के लिए फसाड़, अवैध अतिक्रमण, पार्किंग, यातायात व्यवस्था और नॉन वेंडिंग जोन पर काम करने की दरकार है. गुलाबी नगरी को विश्व धरोहर की सूची में शामिल कराने के लिए सरकार को खासी मशक्कत करनी पड़ी. पूर्ववर्ती सरकार का प्रस्ताव मिलने के बाद इसकी वास्तविकता जानने के लिए यूनेस्को की संस्था इकोमॉस के विशेषज्ञ पिछले साल सितंबर में मौका मुआयना करने जयपुर आए. सरकार के पेश दस्तावेजों की पड़ताल के बाद संस्थान ने 23 नवंबर को अतिरिक्त मुख्य सचिव और अन्य अधिकारियों को बैठक के लिए पेरिस भी बुलाया गया. यहीं से जयपुर का प्रस्ताव होने की कहानी शुरू हुई.
इकोमॉस की ओर से शहर में हो रहे अवैध निर्माण पर कार्रवाई करने की योजना बनाई जा रही है. मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में परकोटा को नो कंस्ट्रक्शन जोन घोषित करने का फैसला लिया गया है. वहीं नए प्रेजेंटेशन के साथ पहले मेयर पेरिस गए. उसके बाद निगम की टीम बाकू पहुंची. जहां जयपुर को भी विश्व धरोहर की सूची में शामिल करने की घोषणा की गई. हालांकि में अब शहर और राज्य की सरकार के सामने चुनौतियां पहले से ज्यादा हैं.