जयपुर. राजस्थान में सियासी बयानबाजी के दौर के बीच खाद्य मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास का एक चौंकाने वाला बयान सामने आया है. खाचरियावास ने इस बार पार्टी के भीतर की गुटबाजी और खींचतान की बजाए अफसरशाही को निशाने पर लिया (Pratap Singh targets bureaucracy) है. खाचरियावास ने तल्ख रुख अख्तियार करते हुए मुख्यमंत्री से मांग की है कि मंत्री को IAS अफसर की ACR भरने के अधिकार दिए जाएं, तब ही जाकर प्रदेश में काम बेहतर हो सकता है. उन्होंने कहा कि तबादला आदेशों के बावजूद अधिकारी ज्वाइन नहीं करते हैं, जनता के हक का अनाज लैप्स हो जाता है, लेकिन अधिकारियों के कान पर जूं नहीं रेंगती है.
46 हजार मैट्रिक टन गेहूं लेप्स: प्रताप सिंह ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि हालात यह है कि मंत्री भी अधिकारियों से परेशान हैं. खाचरियावास ने खुद के नेतृत्व वाले खाद्य विभाग की भी जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो यानी एसीबी से कराने की मांग की है. ब्यूरोक्रेसी को लेकर प्रताप सिंह ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि अफसरों की एसीआर भरने का अधिकार मंत्रियों को दिया जाए. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में इस व्यवस्था से ही सुधार हो सकता है. इस बारे में उन्होंने मुख्य सचिव उषा शर्मा से भी बात की है. इसके लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी पत्र लिखा है.
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खाद्य विभाग में तत्कालीन खाद्य सचिव पर मंत्री खाचरियावास ने निशाना साधा. उन्होंने कहा कि जिन अफसरों को ये नहीं पता कितनी कैटेगिरी को गेहूं दिया जाता है, उनको सरकार ने प्रमोशन करके अक्षय ऊर्जा में लगा दिया है. राज्य में 46 हजार मैट्रिक टन गेहूं कम मिला है. यहां तक कि एक यूटिलिटी सर्टिफिकेट केंद्र को नहीं भेजा गया, यही कारण है कि हमारा 46 हजार मैट्रिक टन गेहूं लेप्स हो गया. मंत्री अब अधिकारियों की ACR भरने की मांग कर रहे हैं. प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि मुख्य सचिव से बात करने के साथ-साथ मुख्यमंत्री के सचिव कुलदीप राका से भी उन्होंने बातचीत की है.
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उन्होंने कहा कि लगातार सरकार की अवमानना करने वाले अफसरों पर अगर कार्रवाई नहीं की गई तो लोकतंत्र को मजबूत कैसे बनाया जा सकता है. इसलिए उन्हें मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखना पड़ा है. डेढ़ महीने पुराने इस मामले में अब तक सीनियर ब्यूरोक्रेट्स की तरफ से एक्शन नहीं लिया गया है. खाचरियावास ने कहा कि राशन की दुकानों पर जनता के सिर फूट गए हैं, इसके लिए मैं नहीं अफसर जिम्मेदार हैं.
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मंत्री प्रताप सिंह के इस बयान के बाद एक बार फिर से अफसरशाही और राजनेताओं के बीच की खींचतान भी प्रदेश में खुलकर जाहिर हो गई है. गौरतलब है कि सरकार पर ब्यूरोक्रेसी के हावी होने के आरोप बीती वसुंधरा राज्य सरकार में भी लगे थे और मौजूदा गहलोत सरकार में भी लगातार सामने आ रहे हैं.
मंत्री की तरफ से अंगुली उठाने का यह दूसरा मामला : दरअसल, राजस्थान में मुखर होकर सीनियर ब्यूरोक्रेसी पर मंत्री की तरफ से अंगुली उठाने का यह दूसरा मामला है. इससे पहले खेल मंत्री अशोक चांदना ने भी मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव कुलदीप राका को लेकर सीधे तौर पर आरोप लगाए थे. बुधवार को मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने भी अपने महकमे में हो रही लेटलतीफी और कामकाज में ढिलाई के लिए विभाग के सचिव को जिम्मेदार बताते हुए कुलदीप रांका का जिक्र किया और जल्द से जल्द कार्रवाई की मांग भी की.
गौरतलब है कि अशोक चांदना ने अपने विभाग से मुक्त करने की बात कहते हुए ट्विटर पर लिखा था कि, "माननीय मुख्यमंत्री जी मेरा आपसे व्यक्तिगत अनुरोध है कि मुझे इस जलालत भरे मंत्री पद से मुक्त कर मेरे सभी विभागों का चार्ज कुलदीप रांका को दे दिया जाए, क्योंकि वैसे भी वो ही सभी विभागों के मंत्री हैं इस बात बता सिंह खाचरियावास ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखने की बात कहते हुए मुख्य सचिव और कुलदीप राका का नाम लेकर इस मसले पर फिर से विवाद खड़ा कर दिया है. जहां एक बार फिर कार्यपालिका और विधायिका का टकराव देखने को मिल सकता है.