जयपुर.राजस्थान में बिजली का संकट कम होने का नाम नहीं ले रहा हैं. ग्रामीण इलाकों में पहले से ही 2 से 3 घंटों की कटौती की जा रही है और अब मंगलवार को जयपुर, जोधपुर, अजमेर, भरतपुर, बीकानेर, कोटा और उदयपुर के अलावा हर शहर में सुबह 6 से 8:30 बजे तक दो से ढाई घंटे की घोषित और अघोषित कटौती करने की तैयारी की जा रही है. कोयला संकट और तकनीकी कारणों से बंद पड़े कई पावर प्लांट के बीच बिजली की डिमांड बढ़ गई है. डिमांड बढ़ने के बाद बिजली कम्पनियों ने एक्सचेंज और पावर परचेज के तहत बिजली खरीद की तैयारी भी तेज कर दी है, लेकिन सूत्रों की माने तो आने वाले कुछ दिनों के लिए जनता को बिजली कटौती का सामना करना पड़ सकता है.
ऊर्जा विकास निगम एक्सचेंज से बिजली खरीदने का प्रयास कर रहा है, लेकिन पर्याप्त बिजली नहीं मिलने से बिजली कटौती फिर से शुरू हो गई है. ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में एक से दो घंटे बिजली कटौती का सामना पहले से ही करना पड़ रहा है. राजस्थान के कोटा थर्मल में दो दिन, सूरतगढ़ थर्मल में चार दिन, छबड़ा थर्मल में दो दिन, छबड़ा सुपर क्रिटिकल में तीन दिन, कालीसिंध थर्मल पावर प्रोजेक्ट में तीन दिन और सूरतगढ़ सुपर क्रिटिकल में तीन दिन का कोयला ही बचा है.
कुछ पावर प्लांट तकनीकी कारणों से शुरू नहीं हो पा रहे हैं. इसी दौरान रबी सीजन में बिजली डिमांड बढ़ने से ऊर्जा विभाग की चिंता बढ़ गई है. हालात यह है कि कई जगह कटौती के बावजूद 100 लाख यूनिट से अधिक आपूर्ति हो रही है. रोजाना डिमांड को देखें, तो रबी सीजन में डिस्कॉम के पास 1600 मेगावाट के अनुमान से भी डिमांड पार पहुंच गई है.
लापरवाही बनी कारण: रबी फसल के सीजन में बिजली की जरूरत 16000 मेगावाट को पर कर गई, जिसके बीच विद्युत उत्पादन निगम के 5 बिजलीघर ठप हो गए. इससे बिजली डिमांड और सप्लाई में करीब 2000 मेगावॉट का अंतर आ गया, जिसके बाद विद्युत उत्पादन निगम सारे पुराने दावे भी ठप पड़ गए. ऊर्जा विकास निगम की और से बिजली की मांग को लेकर लापरवाही दिखाई. अधिकारी इस बात पर गंभीर नहीं रहे कि रबी में बिजली की खपत क्या होगी. जिसके कारण आम जनता को दिक्कत उठानी पड़ रही है. जबकि ये पहले से पता होता है कि रबी में बिजली की डिमांड बढ़ जाती है, बावजूद इसके सही तरीके से एक्शन नहीं लिया गया था.