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Reality Check: कोटपूतली नगरपालिका बनी 'नरक' पालिका, बिना काम के तनख्वाह उठा रहे सफाईकर्मी !

कोटपूतली कस्बे में सफाई के क्या है, इसका अंदाजा आपको शहर की ताजा तस्वीरों के लग जाएगा. शहर का ऐसा कोई इलाका नहीं है, जहां गंदगी और कचरे के ढेर ना हो. कोटपूतली नगरपालिका में 47 स्थाई सफाईकर्मी है, जो काम बिल्कुल नहीं कर रहे हैं, जिसके लिए वो नगरपालिका से तनख्वाह उठा रहे हैं.

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Published : Feb 28, 2020, 7:29 PM IST

Updated : Mar 16, 2020, 9:49 AM IST

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कोटपूतली नगरपालिका बनी 'नरक'पालिका

कोटपूतली (जयपुर). कहने तो यहां नगरपालिका है. लेकिन शहर की स्थिति देखकर नहीं लगता कि यहां काम भी किया जा रहा है. पूरे देश में चाहे स्वच्छ भारत अभियान पूरी रफ्तार से चल रहा हो, लेकिन कोटपूतली में गंदगी के ढेर अब रोजमर्रा की बात हो गई है. शहर की कोई गली हो या फिर चौराहे का मुख्य रास्ता, हर जगह अब गंदगी और कचरे के ढेर के अलावा कुछ और नहीं दिखता है. हालात ये हैं कि नगरपालिका के 47 स्थाई सफाईकर्मी काम बिल्कुल नहीं कर रहे हैं, जिनके लिए नगरपालिका से तनख्वाह उठा रहे हैं.

कोटपूतली नगरपालिका बनी 'नरक'पालिका

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हालात ये है कि आम आदमी तो क्या खुद पार्षदों के घर के सामने कचरे के बड़े बड़े ढेर पड़े हुए हैं. पिछले 15 दिन से तो हालात ये हैं कि कचरा बिल्कुल उठना ही बंद हो गया है. कोटपूतली में गन्दगी और कचरे की इस अव्यवस्था के आगे आम आदमी तो क्या खुद नगरपालिका के चेयरमैन ही लाचार नजर आये.

कोटपूतली में सफाई की अव्यवस्था का ये हाल तब है जब 47 स्थाई सफाई कर्मचारी नगरपालिका के खुद के पास हैं. कस्बे में 30 वार्ड हैं और स्थाई सफाई कर्मचारियों का आंकड़ा 47. ये आंकड़ा हैरान करने वाला है. इसीलिए हमने जांच पड़ताल की तो सामने आया कि बहुत से स्थाई कर्मचारी ऐसे हैं, जो शहर की सफाई के बजाय हुक्मरानों के यहां ड्यूटी दे रहे हैं. ऐसे एक दो नहीं बल्कि दर्जन भर कर्मचारी हैं. हालांकि अधिकारी से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने ऐसे कर्मचारियों को वापस बुलाने की बात कही.

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शहर में सफाई न होने का दूसरा सबसे बड़ा कारण ये सामने आया कि जो 47 स्थाई सफाई कर्मचारी हैं, उनमें से लगभग दो दर्जन ऐसे हैं जो अपेक्षाकृत विकसित जातियों से हैं. ऐसे में ये सफाई कर्मचारी के पद पर जरूर नियुक्त हो गएस लेकिन अपना काम ये बिल्कुल भी नहीं कर रहे हैं. ईटीवी ने मुद्दे उठाये तो अब इन पर कार्रवाई की बात कही जा रही है. सफाई व्यवस्था भी पटरी पर लाने के दावे किये जा रहे हैं, लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि सरकारी महकमों में काम आखिर तभी क्यों होता है जब मीडिया इसकी खबर दिखाता है.

Last Updated : Mar 16, 2020, 9:49 AM IST

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