जयपुर.राजस्थान में पूर्व सैनिकों के आरक्षण पर सियासत (Politics on reservation for ex servicemen) गरमाई हुई है. 4 साल पहले किए गए बदलाव के विरोध में ओबीसी वर्ग आंदोलन की राह पर है तो गहलोत सरकार में मंत्री रहे हरीश चौधरी अब उसी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिए हैं. जबकि वसुंधरा राजे सरकार में जारी परिपत्र के विरोध के बीच बीजेपी इस मसले पर बैकफुट पर थी, लेकिन अब बीजेपी उल्टे कांग्रेस पर ही आंदोलन को हवा देने का आरोप लगा रही है. प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सतीश पूनिया ने पूर्व मंत्री हरीश चौधरी को निशाने (Politics on OBC reservation in Rajasthan) पर लेते हुए कहा कि यह सब सरकार से प्रेरित लग रहा है. एक पूर्व मंत्री अपनी ही सरकार के खिलाफ आंदोलन करे, यह बात समझ से परे हैं. यानी दाल में कुछ काला जरूर है.
पूर्व मंत्री की मांग सरकार से प्रेरित:प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि ऐसे कई बार कठिन और संवेदनशील विषय सरकार के सामने आते हैं, जहां समाज के भीतर ही विरोधाभास होता है. लोकतंत्र में चुनी हुई सरकार की नैतिक जिम्मेदारी होती है कि वो उसको सुलझाए, लेकिन यहां तो ऐसा लगता है कि सरकार इसमें तमाशा देख रही है. सरकार को चाहिए कि वह इसमें सर्वसम्मति बनाकर कोई बीच का रास्ता निकाले. जिम्मेदार लोगों से बात करनी चाहिए. लेकिन इसके उलट विचित्र और हास्यास्पद स्थिति उत्पन्न हो गई है. सरकार के पूर्व मंत्री आज सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. यह विचित्र सी बात है. इसमें कहीं न कहीं दाल में कुछ काला जरूर है. पुनिया ने कहा कि यह सब ध्यान भटकाने के लिए हो रहा है.
BJP की खामोश क्यों:ओबीसी आरक्षण से पूर्व सैनिकों को अलग करने का एक बड़ा मुद्दा है. जिसे लेकर सरकार में पूर्व मंत्री और मंत्री आमने-सामने हैं. पूर्व मंत्री ने खुले तौर पर सीधे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को निशाने पर लिया है. वहीं, पूर्व सैनिक आरक्षण से छेड़छाड़ होने पर सड़कों पर उतरने को तैयार है. एक दर्जन से ज्यादा सामाजिक संगठनों ने सरकार को इस आरक्षण व्यवस्था को लेकर पत्र लिखा है. इस गंभीर विषय पर बीजेपी इस लिए बैकफुट पर है, क्योंकि जिस (17 अप्रैल, 2018) परिपत्र को लेकर विवाद हो रहा है, वो पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार में जारी किए हुए थे. अब बीजेपी इस मसले पर ओबीसी आरक्षण का समर्थन करती है तो यह संदेश जाएगा कि उनकी सरकार ने ओबीसी वर्ग के साथ नाइंसाफी की थी.
जानें क्या हुए थे बदलाव:पूर्व मंत्री हरीश चौधरी का आरोप है कि प्रदेश में 17 अप्रैल, 2018 को तत्कालीन सरकार ने पूर्व सैनिकों को देय आरक्षण के नियमों में संशोधन किया था. जिसके तहत पूर्व सैनिकों को राज्य सेवा में पांच, अधीनस्थ सेवा में 12.5 व चतुर्थ श्रेणी में पंद्रह फीसदी आरक्षण प्राप्त हुए. इस नियम में संशोधन कर इस आरक्षण को क्षैतिज मानना शुरू कर उन्हें अपने-अपने वर्ग में समायोजित करने का नियम लागू किया गया. इस नियम के लागू होने से ओबीसी वर्ग में पुरुष वर्ग के अधिकांश पद पूर्व सैनिकों के खाते में जा रहे हैं. इस कारण युवाओं के लिए पहले से बेहद कम नौकरी के अवसर पूरी तरह से सीमित हो गए. कुछ एक भर्ती में ओबीसी वर्ग में पुरुषों के आरक्षित सभी पदों पर पूर्व सैनिकों की भर्ती का भी मसला है.