जयपुर. देश में हिमाचल प्रदेश और गुजरात में चुनाव होने जा रहे हैं. इनमें से हिमाचल प्रदेश के चुनाव की तारीखें घोषित भी की जा चुकी हैं. जिन राज्यों में चुनाव होते हैं उनमें आसपास के राज्यों के उन नेताओं को भी चुनाव जिताने की जिम्मेदारी दी जाती है जहां पार्टी की सरकार होती है और जातिगत वोटर्स होते हैं. अब क्योंकि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है और गुजरात में रघु शर्मा को प्रभारी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को वरिष्ठ पर्यवेक्षक (politics on Gujarat and Himachal pradesh election) बनाया गया है. ऐसे में गुजरात चुनाव के लिए तो दो दर्जन से ज्यादा राजस्थान के मंत्री, विधायक और नेताओं को विधानसभा सीटों में जीत दिलाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
खास बात ये है कि हिमाचल प्रदेश में चुनाव घोषित किए जा चुके हैं, फिर राजस्थान के मंत्रियों और विधायकों को वहां की चुनावी जिम्मेदारी से दूर रखा गया है, जबकि राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट को वहीं का पर्यवेक्षक बनाया गया है. राजस्थान के किसी मंत्री, विधायक को हिमाचल प्रदेश चुनाव में काम पर नहीं लगाया गया है. गुजरात में 22 मंत्री, विधायकों में से 20 गहलोत समर्थक हैं और दो पायलट समर्थक हैं.
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हिमाचल प्रदेश में राजस्थान की ओर से या तो धीरज गुर्जर स्क्रीनिंग कमेटी के मेंबर बनाए गए थे या फिर सचिन पायलट को हिमाचल चुनाव का पर्यवेक्षक. पायलट और धीरज गुर्जर के अलावा जातिगत या अन्य आधार पर किसी राजस्थान के नेता को हिमाचल चुनाव में जिम्मेदारी नहीं दी गई है. हालांकि हिमाचल प्रदेश के चुनाव में हर बार की तरह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट को स्टार प्रचारक जरूर बनाया गया (Gehlot and Pilot as star campaigner in Himachal) है लेकिन अन्य नेताओं को हिमाचल से दूर रखा गया है.