जयपुर.दो साल पहले 2020 में पायलट समर्थकों की नाराजगी के (Ajay maken resigns from rajasthan in charge) चलते अविनाश पांडे को प्रदेश के प्रभारी पद से हटाया गया था और अब गहलोत समर्थक विधायकों के रवैए से आहत अजय माकन ने स्वेच्छा से प्रभारी का पद छोड़ दिया है. उन्होंने पद छोड़ने के (Rajasthan political crisis) पीछे की वजहों को अपने पत्र में स्पष्ट (Ajay Maken wrote letter to Kharge) किया. माकन ने कहा कि वह 25 सितंबर के वाकया से काफी आहत थे. पार्टी आलाकमान ने उन्हें सूबे का प्रभारी व पर्यवेक्षक बनाकर भेजा था. इसके बावजूद वे विधायक दल की बैठक नहीं करवा पाए. यही कारण है कि वो इस पद को छोड़ रहे हैं.
25 सितंबर यानी 51 दिन पहले गहलोत समर्थक विधायकों के इस्तीफों से राजस्थान की सियासत में भूचाल की स्थिति उत्पन्न हो गई थी, जो अभी शांत नहीं हो सकी है. इस बीच बुधवार को अजय माकन ने प्रदेश के प्रभारी व पर्यवेक्षक पद को छोड़ने की घोषणा कर दी. माकन की इस घोषणा के बाद सूबे की सियासत में फिर से हलचल का दौर शुरू हो गया है. वहीं, माकन के इस फैसले पर पायलट कैंप के विधायक वेद सोलंकी (Pilot supporter MLA Ved Solanki) ने नाखुशी जताई. सोलंकी ने कहा कि यह बहुत बड़ा दुर्भाग्य है. माकन ने राजस्थान में ढाई साल में बेहतरीन काम करते हुए सभी लोगों को समायोजित किया था. उनका काम करने का तरीका भी अच्छा रहा है.
पायलट समर्थक विधायक वेद सोलंकी इसे भी पढ़ें - अजय माकन ने छोड़ा राजस्थान प्रभारी का पद
माकन हमेशा कार्यकर्ताओं की बातें सुनते थे. यही कारण था कि राजस्थान में 3000 लोगों का एडजस्टमेंट भी किया गया. सोलंकी ने आगे कहा कि माकन से कांग्रेस कार्यकर्ताओं में उम्मीद जागी थी. माकन कार्यकर्ताओं के लिए काम कर रहे थे और उनके विचारों से कार्यकर्ताओं को ऊर्जा मिलती थी. माकन का इस तरह से इस्तीफा देना और 25 सितंबर की घटना का उनके पत्र में उल्लेख मिलना बेहद दुखद है. उन्होंने कहा कि विधायक दल की बैठक के न होने से हमारे साथ ही कांग्रेस के कार्यकर्ता भी खासा आहत हुए थे.
सोलंकी ने कहा कि विधायक दल की बैठक में वह परिवार भी मौजूद थे, जो पीढ़ियों से कांग्रेस परिवार के रूप में देख जाते रहे हैं. चाहे ओला परिवार हो, मदेरणा परिवार हो, जाहिदा हो, नारायण सिंह हों या फिर राम नारायण चौधरी की बेटी रीटा चौधरी या बुडानिया हों, ये सभी प्रमुख लोग कांग्रेस को राजस्थान में स्थापित करने वालों में शुमार हैं. इनका कांग्रेस में अटूट आस्था रहा है. सोलंकी ने आगे कहा कि 25 सितंबर को विधायकों को धोखे से स्पीकर के यहां ले जाया गया और विधायक दल की बैठक का बहिष्कार किया गया. जिससे माकन भी आहत थे. यही कारण है कि उन्होंने यह फैसला लिया.
इस निर्णय से भी आहत थे माकन:भले ही माकन ने अपने पद छोड़ने के पीछे 25 सितंबर की घटना को आधार बनाया हो, लेकिन जानकारों की मानें तो माकन के पद छोड़ने के पीछे एक और कारण रहा है. असल में 4 दिसंबर को भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान में प्रवेश और यात्रा की कमान धर्मेंद्र राठौड़ को सौंपे जाने से माकन नाराज चल रहे थे. ऐसे में उन्होंने उक्त निर्णय लिया.
धर्मेंद्र राठौड़ को 25 सितंबर की घटना के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए पर्यवेक्षक के तौर पर आए अजय माकन की रिपोर्ट के आधार पर ही कारण बताओ नोटिस मिला था. इसके बावजूद भी उन पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई और उल्टे उन्हें संगठन ने भारत जोड़ो यात्रा की जिम्मेदारी सौंप दी. जिसे माकन खासा आहत बताए जा रहे थे. खैर, अब सियासी गलियारों में इस बात की भी चर्चा है कि माकन के पद छोड़ने के बाद मंत्री महेश जोशी, मंत्री शांतिलाल धारीवाल और आरटीडीसी धर्मेंद्र राठौड़ पर कार्रवाई का दबाव बढ़ गया है.