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Rajasthan High Court: 91 कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे देने का मामला पहुंचा हाईकोर्ट

राजस्थान कांग्रेस के 91 विधायकों के इस्तीफे का मामला (Resignation of 91 Rajasthan Congress MLAs) हाईकोर्ट पहुंच गया है. उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने अधिवक्ता हेमंत नाहटा के साथ याचिका दायर की है. हाईकोर्ट की खंडपीठ मामले में अगले सप्ताह सुनवाई कर सकती है.

Rajasthan High Court
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Published : Dec 1, 2022, 11:31 AM IST

Updated : Dec 1, 2022, 2:31 PM IST

जयपुर. कांग्रेस के 91 विधायकों के इस्तीफे का मामला (Resignation of 91 Rajasthan Congress MLAs) हाईकोर्ट पहुंच गया है. भाजपा नेता राजेंद्र राठौड़ ने गुरुवार को अपने अधिवक्ता हेमंत नाहटा के साथ हाइकोर्ट पहुंच कर याचिका दायर की है. याचिका में गुहार की है कि विधानसभा स्पीकर इन विधायकों के इस्तीफे पर निर्णय लें. याचिका में कहा गया कि कांग्रेस के 91 विधायकों ने गत 25 सितंबर को विधानसभा स्पीकर को अपने इस्तीफे सौंपे थे. इसके बाद 18 अक्टूबर, 19 अक्टूबर, 12 नवंबर और 21 नवंबर को याचिकाकर्ता ने स्पीकर को प्रतिवेदन देखकर दिए गए इस्तीफे को लेकर निर्णय करने का आग्रह किया था. इसके बावजूद भी स्पीकर ने अब तक इन इस्तीफों को लेकर कोई निर्णय नहीं किया है.

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याचिका में कहा गया कि यदि कोई विधायक इस्तीफा स्वयं पेश करता है तो स्पीकर के पास इस्तीफा स्वीकार करने के अतिरिक्त और कोई विकल्प नहीं होता. सिर्फ इस्तीफा स्वैच्छिक और जेन्युइन है या नहीं को लेकर ही जांच की जा सकती है. याचिका में यह भी कहा गया कि यह असंभव है कि विधायकों से जबरन इस्तीफों पर हस्ताक्षर करवाए गए हो या उनके फर्जी हस्ताक्षर किए गए हों. विधायकों के इस्तीफे देने के चलते सरकार सदन में अपना विश्वास खो चुकी है. याचिका में भी गुहार की गई है कि इस्तीफा देने वाले विधायकों के नाम सार्वजनिक किए जाएं और बतौर विधायक इनका विधानसभा में प्रवेश से रोका जाए. हाईकोर्ट की खंडपीठ मामले में अगले सप्ताह सुनवाई कर सकती है.

कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे देने का मामला पहुंचा हाईकोर्ट

इस्तीफे के साथ पद पर रहने का हक नहीं- उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस के 91 विधायकों का इस्तीफा आज 2 महीने बाद भी स्वीकार नहीं किया गया है. त्याग पत्र देने वाले मंत्री और विधायक अभी भी संवैधानिक पदों पर आसीन हैं, जिन पर बने रहने का उन्हें कोई अधिकार नहीं है. सीट से स्वेच्छा से इस्तीफा दिया जाना एमएलए का अधिकार है. 91 विधायकों से जबरन हस्ताक्षर कराए जाने या उनके त्याग पत्र पर किसी अपराधी की ओर से हस्ताक्षर कूट रचित कर दिए जाने की कोई सूचना अध्यक्ष के पास नहीं थी. ऐसे में इस्तीफे को स्वीकार करना अध्यक्ष के लिए विधानसभा प्रक्रिया नियम 173 के अंतर्गत बाध्यकारी है.

मध्यावधि चुनाव की ओर इशारा- राठौड़ ने कहा कि इस्तीफों पर तत्काल प्रभाव से निर्णय लेने के संबंध में विधानसभा अध्यक्ष को कई बार पत्र लिखे गए, लेकिन इसके बाद भी इस्तीफे स्वीकार नहीं किए गए. उन्होंने कहा कि इस्तीफों पर निर्णय लंबित होने से मंत्रिमंडल के सदस्य अभी भी तबादला उद्योग चलाकर स्थानांतरण की सूचियों पर हस्ताक्षर कर रहे हैं. विभागीय बैठकों में हिस्सा ले रहे हैं और मंत्री के रूप में प्राप्त सुविधाएं जैसे बंगला, कार, स्टाफ व सुरक्षाकर्मियों को भी वापिस नहीं लौटा रहे हैं. जब मंत्रिमंडल के सदस्यों ने भी त्याग पत्र सौंपा है तो फिर वह किन प्रावधानों के तहत मंत्रीपद के रूप में आसीन हैं? राठौड़ ने कहा कि राजस्थान में वर्तमान राजनीतिक हालात राष्ट्रपति शासन अथवा मध्यावधि चुनाव की ओर इशारा कर रहे हैं.

Last Updated : Dec 1, 2022, 2:31 PM IST

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