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न्यूरो नेविगेशन मशीन से होगा सटीक इलाज, ब्रेन ट्यूमर और स्ट्रोक के मरीजों को मिलेगी राहत

जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में अब मरीजों का लेटेस्ट तकनीक से इलाज होगा. अस्पताल में न्यूरो नेविगेशन मशीन को इंस्टॉल किया गया (Neuro navigation machine) है, जो ब्रेन ट्यूमर, ब्रेन हेमरेज और स्ट्रोक के मरीजों के इलाज में रामबाण साबित होगा.

patients treats with neuro navigation machine
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Published : Jan 10, 2023, 6:33 PM IST

न्यूरो सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अचल शर्मा

जयपुर. राजधानी के सवाई मानसिंह अस्पताल (Sawai Mansingh Hospital) के न्यूरो सर्जरी विभाग में अब मरीजों का अत्याधुनिक तकनीक से इलाज होगा. इसके लिए अस्पताल में न्यूरो नेविगेशन मशीन को इंस्टॉल किया गया है, जो ब्रेन ट्यूमर, ब्रेन हेमरेज और स्ट्रोक के मरीजों का सटीक उपचार करेगी. अस्पताल के न्यूरो सर्जरी विभाग में डिजिटल सबट्रैक्शन एंजियोग्राफी (डीएसए) मशीन के बाद अब इस मशीन को इंस्टॉल किया गया है, जिससे मरीजों को इलाज में काफी सहूलियत मिलेगी.

एसएमएस अस्पताल के न्यूरो सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष व एसएमएस अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अचल शर्मा ने बताया कि ब्रेन के अंदरूनी हिस्से में ट्यूमर की पुष्टि मुश्किल (Brain tumor and stroke patients gets relief) होती है. गांठनुमा हिस्से में ट्यूमर है या नहीं इसका सटीक आकलन आसान नहीं होता है. लेकिन अब पहली बार एसएमएस अस्पताल के न्यूरो सर्जरी विभाग में डॉक्टर न्यूरो नेविगेशन सिस्टम का इस्तेमाल करेंगे.

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डॉ. शर्मा ने कहा कि यह एक ऐसा सिस्टम है, जो चिकित्सकों को बताता है कि ट्यूमर किस जगह है और वे ऑपरेशन के दौरान ट्यूमर से कितनी दूर है. ऐसे में सर्जरी के समय अब (patients treats with neuro navigation machine) सटीक आकलन संभव होगा. वहीं, संबंधित ट्यूमर को निकालने के लिए डॉक्टर सर्जरी का प्वाइंट क्या चुने, यह भी तय करना आसान होगा. जिससे ब्रेन में बेवजह छेड़छाड़ व नर्व को कटने और नाजुक हिस्सों को बचाया जा सकेगा. खैर, अब तक यह सुविधा केवल निजी अस्पतालों में ही उपलब्ध थी.

नहीं करवानी पड़ेगी सिटी स्कैन और MRI: इससे पहले ब्रेन की सर्जरी करने से पहले सीटी स्कैन-एमआरआई रिपोर्ट देखी जाती थी. लेकिन अब ऑपरेशन न्यूरो नेविगेशन मशीन से ट्यूमर तक सुरक्षित, सरल तरीके से पहुंचने में मदद मिलेगी. इससे मरीज का तुरंत इलाज हो सकेगा. मशीन में महत्वपूर्ण पॉइंट रजिस्टर्ड किए गए हैं, जिससे ऑपरेशन करते समय डॉक्टरों को ट्यूमर की लोकेशन का पता चलता है. इधर, ऑपरेशन से पहले ही प्रॉब रखने पर मशीन (Neuro navigation machine) बता देती है कि ट्यूमर से कितनी दूर है. कई बार अंदर की ओर ट्यूमर नजर नहीं आता है, लेकिन इस सिस्टम से सटीकता आ जाती है. मशीन यह भी बताती है कि किस तरह ट्यूमर तक पहुंचना है.

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