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जयपुर में बैंक राष्ट्रीयकरण की 50वीं स्वर्ण जयंती पर संगोष्ठी का आयोजन - संगोष्ठी का आयोजन

जयपुर में बैंक राष्ट्रीयकरण का स्वर्ण जयंती वर्ष मनाया गया. जिसमें राजस्थान प्रदेश बैंक एंप्लाइज यूनियन और ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी और सदस्यों ने भाग लिया. कार्यक्रम में सार्वजनिक बैंकों के विस्तार, डूबते ऋण की वसूली के लिए बड़े कदम उठाने के साथ -साथ कृषि और प्राथमिक क्षेत्र के ऋण को बढ़ाने की मांग की गई.

बैंक राष्ट्रीयकरण की 50वीं स्वर्ण जयंती पर संगोष्ठी का आयोजन.

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Published : Jul 20, 2019, 9:01 AM IST

जयपुर.राजधानी के तारक भवन में बैंक राष्ट्रीकरण के 50 वर्ष पूर्ण होने पर स्वर्ण जयंती उत्सव का आयोजन किया गया. राजस्थान प्रदेश बैंक एंप्लाइज यूनियन और ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोशिएशन द्वारा स्वर्ण जयंती उत्सव मनाया गया. जिसमें राष्ट्रीयकरण की खुशी में एकत्रित होकर सदस्यों ने उत्सव मनाया.

बैंक राष्ट्रीयकरण की 50वीं स्वर्ण जयंती पर संगोष्ठी का आयोजन.


बैंक राष्ट्रीयकरण के 50 वर्ष विकास और सामाजिक न्याय यात्रा पर विशेष गोष्टी पर बोलते हुए महासचिव महेश मिश्रा ने कहा कि 60 के दशक में जब देश गरीबी और विकट विपरित आर्थिक परिस्थितियों से जूझ रहा था. उस समय बैंकों के राष्ट्रीयकरण के माध्यम से कृषि, लघु उद्योग और प्राथमिक क्षेत्र को ऋण देने की सहज सुलभ प्रक्रिया से देश के आर्थिक ढांचे को नई ऊर्जा दी गई.


देखते ही देखते देश में श्वेत क्रांति, हरित क्रांति और औद्योगिक क्रांति का आगाज हो गया. आम लोगों का बैंक में प्रवेश होने से लोगों में विश्वास बढ़ने लगा और धीरे-धीरे लोग अपनी आर्थिक आवश्यकताओं के लिए बैंकों से जुड़ते चले गए.


भारतीय बैंकिंग इतिहास में अगर 1969 को बड़े पैमाने पर राष्ट्रीयकरण और 1991 को निजी क्षेत्र के बैंकों को बढ़ाओ के लिए याद किया जाएगा, तो वर्तमान समय को सरकारी बैंकों के राज्यपोषित आखेट के लिए भी याद किया जाएगा. यह सब भी तब हो रहा है जबकि सरकार अपनी कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए किसी निजी क्षेत्र में नहीं बल्कि सरकारी बैंकों पर आश्रित है.


बैंको के स्वर्ण जयंती के मौके पर यूनियन पदाधिकारियों ने सार्वजनिक बैंकों का विस्तार करने, उन्हें और सशक्त बनाने के साथ डूबते ऋण की वसूली के लिए बड़े कदम उठाने की मांग रखी. साथ ही कृषि और प्राथमिक क्षेत्र के ऋण को बढ़ाने और बैंकिंग के अधिकार को मूलभूत अधिकार बनाने की मांग भी की.

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