एक जाजम पर आए देश के ओपन यूनिवर्सिटी के वीसी जयपुर. वर्धमान महावीर ओपन यूनिवर्सिटी कोटा की ओर से रविवार को अखिल भारतीय मुक्त विश्वविद्यालय कुलपति सम्मेलन के लिए देश की 16 ओपन यूनिवर्सिटी के कुलपतियों को आमंत्रित किया गया था. इनमें से 13 विश्वविद्यालय के कुलपति यहां आए. इस दौरान मुख्य अतिथि के रूप में प्रदेश के राज्यपाल और कुलाधिपति कलराज मिश्र मौजूद रहे. इस दौरान मौजूद रहे राज्यपाल कलराज मिश्र ने ओपन यूनिवर्सिटीज के कुलपतियों को ऐसे विषयों की पहल करने की अपील की, जिनसे भारत की आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक उन्नति में मदद मिले. उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आत्मनिर्भर भारत की पहल हुई है. जिसका मूल यही है कि युवाओं को कौशल विकास से जोड़ा जाए. ऐसे व्यवसायों में दक्ष और प्रशिक्षित किया जाए, जिसमें स्थानीय संसाधनों का समुचित उपयोग हो. उन्हें स्वयं के व्यवसाय की ओर उन्मुख किया जा सके.
राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि नई शिक्षा नीति में भी इसी बात पर जोर दिया गया है कि शिक्षा व्यवसाय उन्मुख हो ताकि विद्यार्थी शिक्षा के साथ-साथ व्यवसाय कौशल में भी पारंगत हो. उन्होंने कहा कि खुला विश्वविद्यालय की परिकल्पना इस संदर्भ में सबसे ज्यादा उपयोगी है. इसके तहत शिक्षार्थियों का आवश्यकता और व्यवसाय अनुरूप ज्ञान और कौशल में वृद्धि करने के प्रयास यदि सभी स्तरों पर होते हैं, तो इसका लाभ भविष्य के विकास उन्मुख भारत के लिए हो सकता है.
उन्होंने कहा कि ओपन यूनिवर्सिटी की शिक्षा पद्धति राष्ट्र की वर्तमान अवस्थाओं के संदर्भ में एक स्वैच्छिक आंदोलन के रूप में भविष्य की दिशा निर्धारित करें. आने वाले भविष्य की चुनौतियों, उनसे निपटने के प्रयास और बाधाओं को दूर करने पर विमर्श करते हुए एक रोड में बनाया जाए. इसके जरिए शिक्षा पद्धति को और ज्यादा उत्कृष्ट बनाया जा सके. उन्होंने विश्वास जताया कि उच्च शिक्षा में जो मानदंड स्थापित किए जा रहे हैं, उन आयामों में खुला विश्वविद्यालयों के संवाद से भविष्य की नई दिशा का निर्माण होगा.
राज्यपाल ने मुक्त विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को सुझाव दिया कि वो अपने यहां ऐसे विषयों की पहल करें जिनसे भारत की आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक उन्नति में मदद मिले. कृषि, विज्ञान, तकनीक प्रबंधन आदि क्षेत्रों में भारतीयता से जुड़े पाठ्यक्रम तैयार किए जाएं जिससे देश के युवाओं के सुनहरे भविष्य को सुनिश्चित किया जा सके. खुला विश्वविद्यालय को चाहिए कि वो देश के उद्योगों, लोक सेवाओं और संस्कृति से जुड़े सरोकारों से निकट संपर्क रखें. परंपरा के रूप में नहीं बल्कि युग की आवश्यकताओं के रूप में ऐसे पाठ्यक्रम बने, जिससे राष्ट्र की आवश्यकताओं के परिपेक्ष में योजना बद्ध शिक्षा नई पीढ़ी को मिल सके.
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इस दौरान कोटा ओपन यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. कैलाश सोढाणी ने कहा कि खुला विश्वविद्यालय नई एजुकेशन पॉलिसी के लक्ष्य को प्राप्त करने की सबसे बड़ी एजेंसी है. यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन और डिस्टेंस एजुकेशन ब्यूरो की ओर से इन पर बहुत अनावश्यक नियंत्रण और अनेक तरह के बंधन डाल रखे हैं. उससे खुला विश्वविद्यालय की गति को तेजी नहीं मिल पा रही है. इन बंधनों से मुक्त करने की आवश्यकता के लिए वो एकत्रित हुए हैं. ये सभी विश्वविद्यालय ऑटोनॉमस है. इसकी स्वायत्तता यूजीसी और डेब खत्म करती है. इस संबंध में खुला विश्वविद्यालय के विचार भारत सरकार के सामने रखे जाएंगे.
उन्होंने कहा कि यहां एक टेक्निकल सेशन नई एजुकेशन पॉलिसी 2020 को लेकर आयोजित किया गया. एजुकेशन पॉलिसी लागू होने के बाद ओपन यूनिवर्सिटी की भूमिका बढ़ी है. इसके निर्वहन पर चर्चा की जा रही है. इस दौरान सोढाणी ने कोटा ओपन यूनिवर्सिटी की पेंडेंसी को लेकर में जानकारी देते हुए कहा कि कोविड-19 कालखंड की परिस्थितियों से भी पेंडेंसी एक कारण रहा है, लेकिन बीते दिनों 20 दिन में 6 लाख छात्रों का पेंडिंग परीक्षा परिणाम घोषित किया गया. दो परीक्षा पेंडिंग थी, जिन्हें कराया जा चुका है और इस जून से विधिवत रूप से ये विश्वविद्यालय संचालित होगा.