जयपुर. प्रदेश में लापता नाबालिगों को तलाशने के मामले में अदालती आदेश की पालना में प्रमुख गृह सचिव और एडीजी सिविल राइट्स सहित करीब एक दर्जन अधिकारी कोर्ट में पेश हुए. अधिकारियों की ओर से दी गई जानकारी को रिकॉर्ड पर लेते हुए अदालत ने मामले में 12 नवंबर को सुनवाई तय की है. जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस समीर जैन की खंडपीठ ने यह आदेश विभिन्न बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए.
सुनवाई के दौरान अधिकारियों ने पेश होकर अदालत को जानकारी दी. अधिकारियों की ओर से कहा गया कि लापता बच्चों की बरामदगी के लिए समय-समय पर अभियान चलाया जाता है. फिलहाल गत 1 नवंबर से ऑपरेशन खुशी-5 चलाया जा रहा (Operation Khushi 5 to search missing kids) है. यह अभियान दो माह चलाया जाएगा, जिसमें लापता बच्चों की तलाश के लिए विशेष टीमें गठित कर बच्चों की तलाश की जाएगी.
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गौरतलब है कि हाईकोर्ट में दायर विभिन्न बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाओं में सामने आया कि शहर के प्रताप नगर इलाके से 8 साल का मासूम दो माह से लापता है. इसी तरह बांदीकुई से तीन साल की बालिका, नीमराना से 15 साल की किशोरी के साथ-साथ कई थाना इलाकों से बच्चे गायब चल रहे हैं. इस पर अदालत ने संबंधित अधिकारियों को पेश होकर जानकारी देने को कहा था.
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सेंट्रल पार्क से कब्जा हटा या नहीं, 22 नवंबर को पेश करें रिकॉर्ड: राजस्थान हाईकोर्ट ने जेडीए को सेंट्रल पार्क से हटाए गए अतिक्रमण और कब्जा लेने की कार्रवाई का समस्त रिकॉर्ड 22 नवंबर को पेश करने को कहा है. जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस वीके भारवानी की खंडपीठ ने यह आदेश योगेश यादव की रिव्यू याचिका पर दिए. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विमल चौधरी ने अदालत को बताया कि पार्क के अतिक्रमणों को जेडीए ने अब तक नहीं हटाया है और ना ही सरकारी जमीन पर कब्जा लिया है. इसलिए सेन्ट्रल पार्क से अतिक्रमण हटाकर सरकारी जमीन का कब्जा लिया जाए.
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वहीं जेडीए ने कहा कि पार्क से अतिक्रमण हटा दिए हैं. जिस पर अदालत ने कहा कि जेडीए कह रहा है कि उसने अतिक्रमण हटा कर कब्जा ले लिया है और याचिकाकर्ता इससे इनकार कर रहा है. ऐसे में जेडीए स्थिति स्पष्ट करने के लिए अतिक्रमण हटाने और कब्जा लेने की कार्रवाई का रिकॉर्ड पेश करे. याचिका में हाईकोर्ट के 26 मार्च, 2021 के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें जेडीए के तत्कालीन कमिश्नर के अतिक्रमण हटाने के बयान के बाद अदालत ने याचिका निस्तारण कर दिया था. रिव्यू पिटीशन में कहा गया कि जेडीए ने अदालत को गलत जानकारी दी है और सेन्ट्रल पार्क से अतिक्रमण नहीं हटाया गया है.