राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस पर विशेष.. जयपुर.हर साल 30 अगस्त को भारत के छोटे व्यवसायों को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस मनाया जाता है. एक विकासशील देश और राज्यों की अर्थ व्यवस्था में लघु उद्योग बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं. राजस्थान की बात करें तो रजिस्टर्ड और अनरजिस्टर्ड 32 लाख के करीब लघु उद्योग हैं, जिनका प्रदेश की अर्थ व्यवस्था में 29 से 30 फीसदी जीडीपी में योगदान है, लेकिन राज्य और केंद्र सरकार इन लघु उद्योगों को कोई बड़ी योजनाएं लागू नहीं कर रही है, जिसके चलते लघु उद्योगों को प्रोत्साहन नहीं मिल पा रहा है.
राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस का क्या महत्व है ? :फेडरेशन ऑफ राजस्थान ट्रेड इंडस्ट्री के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल बताते हैं कि लघु उद्योग दिवस का मकसद भारत के छोटे व्यवसायों को बढ़ावा देना है. राजस्थान की बात करें तो यहां 12 लाख रजिस्टर्ड और 20 लाख अनरजिस्टर्ड उद्योग हैं, जिनका जीडीपी में 29 से 30 फीसदी का योगदान है. देश की बात करें तो कुल लघु उद्योग का 4 फीसदी राजस्थान में है.
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सरकार की योजनाओं का नहीं मिल रहा लाभ :सुरेश अग्रवाल ने बताया कि राजस्थान में विशाल संपदा और योग्यता है, जिसके चलते लघु उद्योग की अपार संभावनाएं भी हैं, लेकिन बावजूद प्रदेश में लघु उद्योग को विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. इन उद्योगों की प्रगति संतोषजनक नहीं कह सकते. लघु उद्योग के व्यापारियों को बहुत बड़ा बेनिफिट सरकार की ओर से नहीं मिल पाता है. केंद्र सरकार की कोई भी योजना ऐसी नहीं है, जिससे लघु उद्योग उभर सके और आगे बढ़ सके.
बैंक से नहीं मिल पाता लोन :राजस्थान सरकार ने एमएसएमई यानी मिनिस्ट्री ऑफ माइक्रो स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज योजना के जरिए कुछ रियायत देने की बात जरूर की, लेकिन वो नाकाफी है. योजना में बैंक से रियायत दर पर लोन का प्रावधान है, लेकिन छोटे व्यापारियों को बैंक से लोन ही नहीं मिल पा रहा है तो वह उसका लाभ कैसे लें? जरूरी है कि सरकार ने जो बैंक में लोन के लिए गारंटी का प्रावधान किया हुआ है उसे समाप्त करें, ताकि अधिक से अधिक लघु उद्योग खड़े हो सके.
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GST ने बढ़ाई मुश्किलें :सुरेश अग्रवाल ने बताया कि GST लागू नहीं होने से पहले राज्य सरकार की ओर से एक्साइज ड्यूटी में 2 करोड़ लिमिट में छूट थी, लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद एक्ससाइज ड्यूटी खत्म हो गई है. इससे लघु उद्योगों को संकट का सामना करना पड़ रहा है. जीएसटी का एक पार्ट लघु उद्योग व्यवसायों को वापस मिलना चाहिए, ताकि उन्हें अधिक से अधिक बढ़ावा मिल सके. लघु उद्योग के जरिए बड़ी संख्या में रोजगार उत्पन्न होता है. राजस्थान में बड़ी इंडस्ट्रीज को तो जीएसटी का लाभ मिल रहा है, लेकिन छोटे ट्रेड को इसका लाभ नहीं मिल रहा है. इन समस्याओं का उचित उपाय किया जाना आवश्यक है, जिससे लघु उद्योग राजस्थान के आर्थिक विकास और रोजगार सृजन में योगदान और अपनी अहम भूमिका निभा सके.
ये हैं लघु उद्योग के सामने चुनौती :
- लघु औद्योगिक इकाइयों के सामने बड़ी समस्या पूंजी का अभाव है. इन औद्योगिक इकाइयों का पूंजीगत आधार बहुत कमजोर होता है. नीतिगत तौर पर व्यापारिक बैंक, लघु उद्योग वित्त निगम इनको प्राथमिकता के आधार पर ऋण उपलब्ध करवाते है, लेकिन वास्तविक तस्वीर इसके विपरीत ही है.
- लघु उद्योगों को उत्पादन करने के लिए कच्चे माल की जरूरत होती है, लेकिन स्थानीय व्यापारी इन लघु उद्योगों को इस शर्त पर कच्चा माल उपलब्ध कराते हैं कि तैयार माल उन्हीं को बेचेंगे. इससे छोटे व्यापारी को दोहरा नुकसान उठाना पड़ता है. एक तो कच्चे माल की अधिक कीमत देनी पड़ती है और दूसरा तैयार किए गए माल के दाम कम मिलते हैं.