राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

National Green Tribunal: सीवरेज का अनट्रीटेड पानी खुले में छोड़ने पर नगरपालिका पर लगा 65.75 लाख का जुर्माना - ईटीवी भारत राजस्थान न्यूज

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल नई दिल्ली ने सीवरेज का अनट्रीटेड पानी (National Green Tribunal imposed a fine ) खुले में छोड़ने पर पोकरण नगर पालिका पर 65 लाख रुपए से अधिक का हर्जाना लगाया है.

National Green Tribunal,  National Green Tribunal imposed a fine
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल नई दिल्ली.

By

Published : Jul 14, 2023, 6:21 PM IST

जयपुर.नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल नई दिल्ली ने सीवरेज का अनट्रीटेड पानी तोलाबेरी नदी के केचमेंट एरिया में छोड़ने पर पोकरण नगरपालिका पर 65.75 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है. ट्रिब्यूनल ने पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के तौर पर लगाई इस जुर्माना राशि को दो माह में राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल में जमा कराने को कहा है. साथ ही ट्रिब्यूनल ने नगर पालिका को पाबंद किया है कि वह इस नदी या अन्य खुले इलाके में सीवरेज पानी को ट्रीट करने ही छोड़े.

ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में कहा है कि इस पानी से अपीलार्थी की नौ हेक्टेयर भूमि प्रभावित हुई है. ऐसे में प्रदूषण नियंत्रण मंडल क्षतिपूर्ति राशि में से बीस लाख रुपए अपीलार्थी को भी अदा कर शेष राशि को पर्यावरण संरक्षण पर खर्च करे. ट्रिब्यूनल ने इसके लिए प्रदूषण नियंत्रण मंडल, जैसलमेर कलेक्टर व डीएफओ की संयुक्त कमेटी को दो माह में एक्शन प्लान तैयार करने को कहा है. ट्रिब्यूनल ने यह आदेश भोमाराम माली व अन्य के प्रार्थना पत्र पर दिए.

पढ़ेंः NGT ने राजस्थान सरकार पर ठोका 3 हजार करोड़ का जुर्माना

प्रार्थना पत्र में कहा गया कि पोकरण में तोलाबेरी नदी के पास उनकी नौ हेक्टेयर कृषि भूमि है. नगर पालिका सीवरेज का अनट्रीटेड पानी उनकी भूमि पर छोड़ रही है, जबकि कानूनन अनट्रीटेड खुले में नहीं छोड़ा जा सकता. सुनवाई के दौरान स्थानीय कलेक्टर की कमेटी की ओर से रिपोर्ट पेश की गई. इसमें कहा गया कि शहर के गंदे पानी को नदी के केचमेंट एरिया में छोड़ रही है. इसके अलावा यहां सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट भी नहीं है. कमेटी ने अपनी सिफारिश भी ट्रिब्यूनल के समक्ष पेश की. वहीं ट्रिब्यूनल के निर्देश पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बताया कि क्षेत्रीय अधिकारी ने यहां पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के तौर पर 65.75 लाख रुपए नगर पालिका पर लगाने की सिफारिश की है. इस पर ट्रिब्यूनल ने नगरपालिका पर पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के तौर पर यह हर्जाना लगाया है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details