राजस्थान

rajasthan

Special : छोटी काशी के इस मंदिर में गणेश चतुर्थी के दिन भी नहीं होता भगवान गणपति का अभिषेक, भस्म से बने हैं विनायक

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 14, 2023, 1:33 PM IST

राजधानी जयपुर का एक ऐसा गणेश मंदिर जहां गणेश चतुर्थी के दिन भी गणपति का अभिषेक नहीं किया जाता. यहां भगवान गणेश का दूर्वा मार्जन (छींटे देकर) पंचामृत अभिषेक किया जाता है. ये पद्धति सिर्फ इसी मंदिर में देखने को मिलती है. इसके पीछे क्या है इतिहास इस रिपोर्ट में पढ़िए...

Nahar ke Ganesh Temple
Nahar ke Ganesh Temple

गणेश मंदिर में नहीं होता अभिषेक

जयपुर.प्रदेश में गणपति के कई अनोखे मंदिर स्थित हैं. इनमें से एक है नाहरगढ़ पहाड़ियों की तलहटी में मौजूद प्राचीन नहर का गणेश मंदिर, जहां गणेश चतुर्थी के दिन भी गणपति का अभिषेक नहीं किया जाता. छोटी काशी का प्रसिद्ध और प्राचीन गणेश मंदिर नहर के गणेश जी की मान्यता है कि यहां मंत्रों की भस्म से भगवान की प्रतिमा का निर्माण किया गया है.

दक्षिणावर्ती सूंड और दक्षिण विमुख :इस संबंध में मंदिर महंत जय शर्मा ने बताया कि यहां गणपति की तंत्र विधि से प्राण प्रतिष्ठा की गई है. पांच पीढ़ी पूर्व ब्रह्मचारी बाबा ने यज्ञों में मंत्रों के साथ जो आहुति दी, उससे तैयार हुई भस्म से भगवान गणेश के विग्रह को तैयार किया गया और रामचंद्र ऋग्वेदी व्यास ने इसकी प्राण प्रतिष्ठा की. उन्होंने बताया कि जैसा गणेश पुराण में उल्लेख है उसके अनुसार यहां दक्षिणावर्ती सूंड है और दक्षिण विमुख है. ऐसा अन्यत्र देखने को कम मिलता है.

पढे़ं. Garh Ganesh Temple : विश्व का एक मात्र ऐसा गणेश मंदिर जहां हैं बिना सूंड वाले गणेश जी

गुप्त रूप में रिद्धि सिद्धि : उन्होंने बताया कि इस प्रतिमा को सिद्धि विनायक स्वरूप कहा जाता है, जिसका तंत्र में विशेष वर्णन किया गया है. यहां माला और मोदक के रूप में गुप्त रूप में रिद्धि सिद्धि को विराजमान कराया गया है. वहीं, भगवान गणेश के चारों हाथ अंकुश परशु होते हुए भी वरद हस्त हैं, जिसे अभय दान की मुद्रा कहा जाता है. यहां भगवान साल भर शृंगार में रहते हैं. भगवान गणेश को दूर्वा पसंद है, ऐसे में दूर्वा मार्जन से ही भगवान गणेश का पंचामृत अभिषेक किया जाता है. ये पद्धति सिर्फ इसी मंदिर में देखने को मिलती है.

ये है अनोखा मंदिर

पढ़ें. भगवान गणपति को सवा लाख मोदकों का लगेगा भोग, माणक-पन्ना जड़ा मुकुट धारण करेंगे

महीनों तक नहर चला करती, इसपर पड़ा नाम : अमूमन घरों और मंदिरों में वामवर्ती सूंड वाले गणेश की प्रतिमा का पूजन किया जाता है, ताकि यदि भगवान की नियमित उपासना नहीं हो सके तो उपासक को दोष न लगे. नहर की गणेश जी मंदिर में नियमित और संयम से पूजा करना जरूरी है. उन्होंने बताया कि यहां प्राचीन समय में वर्षा काल में महीनों तक नहर चला करती थी, इसी वजह से इस धाम को नहर के गणेश मंदिर कहा गया. समय के साथ-साथ अब मंदिर को लेकर मान्यता और बढ़ती जा रही है. यहां कुछ श्रद्धालु हर दिन तो कुछ हर बुधवार को भगवान के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. उनका मानना है कि भगवान गणेश से सच्चे मन से जो मांगों वो मुराद पूरी होती है. भगवान बहुत जल्दी अपने भक्तों की पुकार सुन लेते हैं.

पढे़ं. Ganesh Chaturthi 2023: पुष्य नक्षत्र में प्रथम पूज्य के पंचामृत अभिषेक के साथ गणेश चतुर्थी उत्सव का आगाज

इस दिन होंगे दर्शन : गणेश उत्सव के तहत आगामी दिनों में भगवान गणेश का चोला शृंगार होगा, जो साल में सिर्फ एक बार होता है. इस दौरान दो दिन श्रद्धालुओं के लिए पट नहीं खुलेंगे. इसके बाद सिंजारे के दिन सुबह दर्शन के लिए पट खुलेंगे, जिसमें भगवान को लहरिया की पोशाक धारण कर पूजा अर्चना के बाद सिंदूर और मेहंदी वितरित की जाएगी. इसके बाद गणेश चतुर्थी के अवसर पर भगवान को 'राजशाही पोशाक' धारण कराई जाएगी और सुबह मंगला आरती के साथ भगवान गणेश के दर्शन आम श्रद्धालुओं के लिए खुले रहेंगे.

ABOUT THE AUTHOR

...view details