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प्लानिंग में बदलाव और नेताओं के हस्तक्षेप ने बिगाड़े जयपुर स्मार्ट सिटी के हालात: सांसद

जयपुर शहर सांसद रामचरण बोहरा और स्मार्ट सिटी की टीम ने शुक्रवार को परकोटे का दौरा (MP Jaipur City Ramcharan Bohra visited walled city) किया. इस दौरान उन्हें जगह-जगह गंदगी के ढेर, रोड की दुर्दशा और दीवारें पोस्टर्स से अटी मिलीं. इस पर बोहरा ने अधिकारियों को लताड़ लगाई. उन्होंने क​हा कि प्लानिंग में बदलाव और नेताओं के हस्तक्षेप के चलते जयपुर स्मार्ट सिटी के हालात बिगड़े हैं.

MP Jaipur City Ramcharan Bohra visited walled city, fumes at dirty places, garbage and incomplete projects
प्लानिंग में बदलाव और नेताओं के हस्तक्षेप ने बिगाड़े जयपुर स्मार्ट सिटी के हालात: सांसद

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Published : Jan 6, 2023, 4:59 PM IST

Updated : Jan 6, 2023, 6:06 PM IST

जयपुर स्मार्ट सिटी के हालात पर बिफरे रामचरण बोहरा...

जयपुर. केंद्र सरकार स्मार्ट सिटी मिशन समेटने की ओर है. जून 2023 डेडलाइन तय की गई है. ऐसे में नए कामों पर रोक लग चुकी है. इस मिशन के चलते जयपुर का नाम के साथ स्मार्ट सिटी का नाम तो जुड़ गया, लेकिन हालत नहीं सुधर पाए हैं. पैसा तो स्मार्ट सिटी बनाने के नाम पर बहाया जा रहा है, लेकिन स्मार्टनेस देखने के लिए आंखे जगह तलाश रही हैं. शुक्रवार को जयपुर शहर सांसद रामचरण बोहरा और स्मार्ट सिटी की टीम ने परकोटे का दौरा (MP Jaipur City Ramcharan Bohra visited walled city) किया. जिसमें गंदगी और खामियां ही देखने को मिली. बोहरा ने जयपुर स्मार्ट सिटी बिगड़े हालात का कारण प्लानिंग, डीपीआर में बदलाव और नेताओं के हस्तक्षेप को बताया.

राजधानी में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत एक हजार करोड़ रुपए से 133 प्रोजेक्ट तैयार होने थे. यहां स्मार्ट सिटी बनाने का काम 7 सालों से चल रहा है. लेकिन शहर स्मार्ट नहीं हो पाया. आलम ये है कि यहां जगह-जगह गंदगी के ढेर, चारदीवारी पर फसाड़ की उतरती परतें, स्मार्ट रोड की दुर्दशा, दीवारों पर चढ़े बधाइयों के होर्डिंग-बैनर्स से शहर अटा पड़ा है. वहीं सिटी के विभिन्न प्रोजेक्ट की धीमी रफ्तार से शहरवासियों के लिए मुसीबतों का पहाड़ खड़ा कर दिया है. हालत ये है कि 790 करोड़ रुपए खर्च होने के बाद भी ना तो शहर की सूरत बदली और ना ही शहर स्मार्ट हो पाया है.

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जयपुर में पिछले 7 साल से स्मार्ट सिटी मिशन के तहत चल रहे प्रोजेक्ट्स की ग्राउण्ड स्थिति देखने शुक्रवार को जयपुर शहर सांसद रामचरण बोहरा ने चारदीवारी का दौरा किया. चारदीवारी में एंट्री करने से पहले ही उन्हें गंदगी और कई खामियां दिखीं. जिस पर सांसद ने अधिकारियों को लताड़ लगाई. उन्होंने अजमेरी गेट के एंट्री पॉइंट पर खराब पड़े फाउंटेन और वहां पड़ी गंदगी को देखकर नगर निगम हेरिटेज और स्मार्ट सिटी कंपनी के अधिकारियों से पूछा आखिर ये सब क्या है? अगर एंट्री ही इतनी खराब है तो अंदर जाने वाले पर्यटक के मन में स्मार्ट सिटी को लेकर कैसी धारणा बनेगी. उन्होंने अधिकारियों को 15 दिन का समय देते हुए व्यवस्थाएं सुधारने के निर्देश दिए और कहा कि वे दोबारा फिर दौरा करेंगे.

अजमेरी गेट पर वसुंधरा सरकार के समय ब्यूटिफिकेशन का काम किया गया था और पूर्व मुख्यमंत्री ने ही इसका लोकार्पण किया था. लेकिन अब यहां लगे फाउंटेन बंद पड़े हैं और यहां गंदगी के ढेर लगे हैं. अजमेरी गेट पर स्थानीय पार्षद के होर्डिंग सजे थे, जिन्हें तुरंत हटाने के निर्देश दिए. अजमेरी गेट से एंट्री के बाद जब किशनपोल बाजार में सांसद पहुंचे तो वहां बनाई स्मार्ट रोड की स्थिति खराब दिखी. साइकिल और रिक्शा चालकों के लिए बनाए ट्रैक पर सामान्य गाड़ियों की पार्किंग नजर आई.

लोगों के चलने के लिए बनाए कोबल स्टॉन के पाथ-वे भी जगह-जगह टूटे नजर आए और उन पर अतिक्रमण मिला. हेरिटेज वॉक वी में स्ट्रीट लाइट के सिर्फ पोल नजर आए, लाइट नहीं थी. रोड से कनेक्ट अंदरूनी गलियों में कुछ जगह ओपन कचरा डिपो देखकर भी सांसद ने नगर निगम अधिकारियों को फटकार लगाई. बोहरा ने कहा कि काम की गुणवत्ता, सफाई व्यवस्था, जगह-जगह अतिक्रमण की रिपोर्ट बनाकर केंद्र सरकार को भेजेंगे.

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स्मार्ट सिटी मिशन के तहत चल रहे कार्यों के निरीक्षण के लिए उन्होंने हेरिटेज निगम मेयर और स्थानीय विधायकों को भी बुलाया था, लेकिन कोई नहीं आया. अफसर दवाब में काम कर रहे हैं. जिसके कारण स्मार्टसिटी के ये हालात हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश के शहरों को स्मार्ट सुविधाओं से लैस करने का केन्द्र सरकार का ख्वाब हकीकत नहीं बन पा रहा है. स्मार्ट सिटी के लिए जो कंसेप्ट तय किए, उन पर अफसरों की मनमानी और नेताओं की राजनीति हावी होती गई. नतीजन निर्धारित कंसेप्ट प्रभावी तरीके से पूरे नहीं हो पाए है. जबकि जून 2023 में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की मियाद खत्म हो जाएगी.

ऐसे में अगले छह माह में 51 परियोजना पूरी करना किसी चुनौती से कम नहीं होगा. वहीं अधूरा काम होने पर केन्द्र सरकार द्वारा फंडिंग रोकने की तलवार भी लटकी हुई है. स्मार्ट सिटी की परिकल्पना और हकीकत का आंकलन किया तो सामने आया कि नेता-जनप्रतिनिधियों को खुश करने के चक्कर में ऐसे हालात बने हैं. जयपुर स्मार्ट सिटी में लगातार प्लानिंग, डीपीआर में बदलाव और नेताओं के हस्तक्षेप के कारण ये हालात बने हैं.

आपको बता दें कि राजधानी जयपुर में चारदीवारी एरिया में साल 2015 से स्मार्ट सिटी मिशन के तहत प्रोजेक्ट्स का काम शुरू किया गया. अलग-अलग फेज में जयपुर शहर के लिए 133 प्रोजेक्ट सेंशन हुए, जो अनुमानित 1 हजार करोड़ रुपए के हैं. इनमें से 790 करोड़ के 82 काम पूरे होने का दावा अधिकारी कर रहे हैं. जिसमें किशनपोल बाजार का जीणोद्धार, रूफटॉप सोलर प्रोजेक्ट, स्कूलों में स्मार्ट क्लासरूम, राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट का जीर्णोद्धार, स्मार्ट टॉयलेट्स और बाइसाइकिल शेयरिंग प्राजेक्ट्स शामिल हैं. हालांकि स्मार्ट टॉयलेट के हालात बदतर हैं, वहीं फसाड़ वर्क में लीपापोती का काम हुआ.

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वहीं चौगान स्टेडियम में पार्किंग, 6 मंदिरों का जीर्णोद्धार, 8 स्कूलों का रेनोवेशन आदि प्रोजेक्ट्स अंतिम फेज में हैं. इन सभी कामों को पूरा करने की डेडलाइन जून 2023 है. अभी गणगौरी हॉस्पिटल को 300 बैड्स का करने, किशनपोल बाजार में गर्ल्स स्कूल का रेनोवेशन करने समेत अन्य काम बाकी हैं. हालांकि जिम्मेदार अफसरों का कहना है कि पूरी कोशिश होगी कि स्मार्ट सिटी परियोजना के सभी प्रोजेक्ट पूरे कर लिए जाएं. लेकिन 6 महीने के कम समय में ये हो पाना संभव दिखाई नहीं दे रहा.

Last Updated : Jan 6, 2023, 6:06 PM IST

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