जयपुर.आज तक दुनिया में कोई ऐसी कलम नहीं बनी है जो 'मां' शब्द की परिभाषा लिख सके. जब मां नहीं रहती तो दुनिया नहीं रहती. बच्चों के लिए तो मां की मौजूदगी ही खुशहाल दुनिया होना है, लेकिन दो नन्हीं बच्चियों दीपिका और पायल की खुशी को अचानक किसी की नजर लग गई. करंट लगने से मां की मौत हो गई और पिता मजबूरियों के चलते उन दोनों को पाल नहीं सकता.
प्रदेश के सबसे बड़े सवाई मानसिंह अस्पताल की मोर्चरी के बाहर एक पिता ने अपनी पत्नी को खोने के बाद दुधमुंही दो बच्चियों को लेकर कड़कड़ाती ठंड में खुले आसमान के नीचे रात गुजारी. दो बच्चियों को लिए बैठा जयराम नागौर का रहने वाला है. उसकी पत्नी बरनाली को करंट लग गया था. बरनाली जयपुर के एसएमएस में दो दिन जिंदगी और मौत के बीच झूलती रही. फिर उसने दम तोड़ दिया. मां के चले जाने के बाद पति जयराम पर डेढ़ साल की दीपिका और डेढ़ माह की पायल की जिम्मेदारी आ गई.
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नागौर जिले के बोरावड़ निवासी जयराम ने अपनी मर्जी से विवाह किया था, इसलिए वह परिवार से अलग हो गया था. पत्नी की मौत के बाद अब वह अपनी बच्चियों का जिम्मा अपने परिवार पर नहीं डालना चाहता. लिहाजा चाहता है कि कुछ समय के लिए बच्चियां शिशु गृह में रहें. यूं भी मेहनत मजदूरी करने वाला जयराम दोनों बच्चियों का अकेले पालन-पोषण नहीं कर सकता.