राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

जयपुर में बोले मोहन भागवत, सेवा कार्य में जोश से ज्यादा होश की है जरूरत - Seva Sangan program in Jaipur

जयपुर के केशव विद्यापीठ में आयोजित सेवा संगन के दूसरे दिन सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने देशभर से आए सेवा भारती के प्रतिनिधियों को संबोधित किया. इस दौरान भागवत ने कार्यक्रम में शामिल स्वयंसेवकों को कई अहम बातें ( Seva Sangan program in Jaipur) बताई.

Seva Sangan program in Jaipur
Seva Sangan program in Jaipur

By

Published : Apr 8, 2023, 9:24 PM IST

जयपुर. राजधानी के केशव विद्यापीठ में चल रहे सेवा संगम के दूसरे दिन शनिवार को देशभर से आए सेवा भारती के प्रतिनिधियों को सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि संगठित कार्य शक्ति हमेशा विजयी रहती है और हम विश्व मंगल साधना के मौन पुजारी हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि किसी भी कार्य को सकुशल संपन्न करने के लिए सामर्थ्य की जरूरत होती है. ऐसा इसलिए क्योंकि बिना शक्ति के कोई अच्छे कार्य को भी स्वीकार नहीं करता है, ये विश्व का स्वभाव है. उन्होंने कहा कि सेवा कार्य में जोश से ज्यादा होश की जरूरत होती है, क्योंकि इसमें उग्रता नहीं, बल्कि सौम्यता चाहिए.

उन्होंने कहा कि संघ की प्रार्थना में 'विजेत्री च नः संहता कार्यशक्तिर् विधायास्य धर्मस्य संरक्षणम्. परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रं' का जिक्र होता है. यही कारण है कि संगठित कार्य शक्ति हमेशा विजयी रहती है. ऐसे में धर्म का सरंक्षण करते हुए राष्ट्र को परम वैभव संपन्न बनाने की दिशा में हम अग्रसर हैं. भागवत ने कहा कि संघ की प्रेरणा से स्वयंसेवकों ने सेवा कार्य किए. इनसे ही सेवा भारती का जन्म हुआ. सेवा का कार्य सात्विक होता है, इसमें फल की इच्छा नहीं होती है. वहीं, जो कार्य स्वार्थवश किए जाते हैं वो राजसिक और तामसिक होते हैं.

इसे भी पढ़ें - जयपुर में आज से तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेवा संगम शुरू, RSS प्रमुख मोहन भागवत करेंगे संबोधित

उन्होंने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि किसी भी कार्य को करने के लिए रुचि, ज्ञान और भाव की जरूरत होती है. डॉ. भागवत ने प्रसिद्धि से दूर रहकर सेवा कार्य करने पर बल देते हुए कहा कि सेवा करते हैं तो अपने आप प्रसिद्धि मिलती है, लेकिन उस ओर ध्यान नहीं देना है. सात्विक सेवा के पीछे अहंकार नहीं होता है. कई बार छोटी- छोटी बातों से बड़ी बातें बनती हैं. सात्विक प्रकृति का हमारा कार्य है, इसलिए सात्विक कार्यकर्ता बनाने पड़ेंगे. ऐसा करने में अहंकार आड़े नहीं आने देना है.

आखिर में उन्होंने कहा कि सेवा का काम डॉ. हेडगेवार की जन्मशती से नहीं, उनके जन्म से शुरू हुआ. संघ की स्थापना तक डॉ. हेडगेवार ने भी बहुत सेवा कार्य किए. आपदा प्रबंधन किया. पीड़ितों की सेवा की. इसी का प्रतिबिंब संघ के कार्यक्रमों में आया और जगह-जगह होने वाले सेवा कार्यों को सेवा भारती के रूप में व्यवस्थित रूप दिया गया.

ABOUT THE AUTHOR

...view details