जयपुर.आगामी मानसून को देखते हुए सभी बाढ़ नियंत्रण कक्षों को क्रियाशील किया जाए एवं मुख्य अभियंता स्तर के अधिकारी सभी प्रमुख बांधों का निरीक्षण करें. विभाग जिला प्रशासन से समन्वय कर बांधों में अचानक पानी की आवक बढ़ने एवं बाढ़ की स्थिति में राहत और बचाव की समुचित व्यवस्था की जाए. यह निर्देश बुधवार को जल संसाधन एवं इंदिरा गांधी नहर परियोजना (आईजीएनपी) के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ सुबोध अग्रवाल ने दिए.
डॉ अग्रवाल ने बुधवार को आईजीएनपी बिल्डिंग के कॉन्फ्रेंस हॉल में बाढ़ कंटींजेंसी की वीसी के माध्यम से समीक्षा की. उन्होंने आगामी मानसून को देखते हुए बड़े बांधों की सुचारू संचालन व्यवस्था के लिए इन बांधों पर मॉक ड्रिल करने के निर्देश दिए. साथ ही सभी प्रमुख बांधों के गेट पर ऑयलिंग-ग्रिसिंग एवं उनके खुलने-बंद होने की पूरी प्रक्रिया पहले से ही देखने को कहा ताकि अचानक पानी आने एवं पानी छोड़े जाने पर ये सुचारू संचालित हो सकें. अग्रवाल ने कहा कि राज्यस्तरीय बाढ़ नियंत्रण कक्ष, संभागीय स्तर एवं जिला स्तर के फ्लड कंट्रोल रूम के साथ ही महत्वपूर्ण बांधों पर स्थापित कंट्रोल रूम 15 जून से प्रभावी रूप से क्रियाशील हो जाएं.
उन्होंने अन्य राज्यों से भी समन्वय स्थापित कर बारिश, अंतर्राज्यीय नदियों से बांधों में पानी की आवक के बारे में सूचनाओं के आदान-प्रदान की व्यवस्था करने के निर्देश दिए. बैठक में बताया गया कि आगामी मानसून को देखते हुए केन्द्रीय बाढ़ नियंत्रण कक्ष जयपुर के जेएलन मार्ग स्थित सिंचाई भवन में स्थापित किया गया है. इसके नोडल अधिकारी मुख्य अभियंता राज्य जल संसाधन आयोजना विभाग रवि सोलंकी होंगे एवं उप निदेशक नवल किशोर दायमा प्रभारी अधिकारी होंगे. अधीक्षण अभियंता एवं सहायक अभियंताओं सहित कुल 23 अधिकारी-कर्मचारियों की ड्यूटी यहां लगाई गई है.