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विधायक संयम लोढ़ा ने जातिगत सम्मेलनों में सियासी नेताओं की सक्रियता को बताया प्रजातंत्र के लिए खतरा

निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने कहा कि जाति कभी भी पार्टी से बड़ी नहीं हो सकती है. ऐसे में सियासी नेताओं को जातिगत सम्मेलनों में किसी जाति विशेष को बढ़ावा देने को लेकर बातें नहीं करनी चाहिए, क्योंकि ये प्रजातंत्र के लिए एक बड़ा खतरा है.

caste conferences threat to democracy
caste conferences threat to democracy

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Published : Mar 20, 2023, 10:59 PM IST

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में सोमवार को बेस्ट विधायक के तौर पर अमीन खान और अनिता भदेल को सम्मानित किया गया. इस दौरान राज्यपाल बनने के बाद पहली बार राजस्थान पहुंचे असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया को भी सम्मान किया गया. वहीं, निर्दलीय विधायक व सीपीए के सेक्रेटरी संयम लोढ़ा ने मंत्रियों और बड़े नेताओं के सामाजिक कार्यक्रमों में जाकर समाज को पार्टी से बड़ा बताने पर आपत्ति जताई.

लोढ़ा ने कहा कि बीते दिनों प्रदेश की राजधानी में कई ऐसे कार्यक्रम हुए जिसमें राजनीतिक पार्टियों के अध्यक्ष, संविधान की शपथ लेने वाले मंत्री, उन सम्मेलनों में जाकर जाति की बात करते नजर आए. साथ ही उन नेताओं ने जातियों को बढ़ावा देने की बातें कहीं. लोढ़ा ने कहा कि उन सामाजिक कार्यक्रमों में ये नेता यह कहते नजर आए कि पार्टी से बड़ी जाति है. लेकिन उनका ये बयान लोकतंत्र को कमजोर करने वाला था.

निर्दलीय विधायक ने कहा कि मुख्यमंत्री भी यहां बैठे हैं, भाजपा के अध्यक्ष भी यहां बैठे हैं. ऐसे में वो इन सभी से यही कहना चाहते हैं कि सभी सियासी पार्टियों को अपने लोगों पर कठोरता से नियंत्रण करना चाहिए. हमारा लक्ष्य जाति विहीन समाज की स्थापना करना है और इस तरीके से संविधान की शपथ लेने वाले मंत्री, विधायक अगर सार्वजनिक तौर पर जाति की बात करेंगे तो इससे प्रजातंत्र कमजोर होगा.

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लोढ़ा ने आगे कहा कि राष्ट्रीय परिदृश्य को अगर हम देखें तो राजस्थान बहुत बेहतर स्थिति में है. विधानसभा में डॉक्टर सीपी जोशी ने कई नवाचार किए हैं. जितने प्रश्न इस 15वीं विधानसभा में उत्तरित हुए, जितने स्थगन प्रस्ताव सदन में लगे और जितने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव रखे गए, वो दुर्लभ है. उन्होंने कहा कि कभी-कभी तो सत्ता पक्ष से भी ज्यादा विपक्ष को समय दिया गया.

लेकिन इसमें अधिकारियों की ओर से जवाबदेही में कमी दिखई. स्पीकर ने भी कई बार अधिकारियों को कहा- 'आज मैं विनती करता हूं कि सदन के प्रति जवाबदेही में कमजोरी दिखाई दे रही है. इस कमजोरी को दूर करना चाहिए.' उन्होंने कहा कि मंत्री कहता है कि हम जांच करवाएंगे, कार्रवाई करेंगे, लेकिन बाद में सेक्रेटरी की जो ड्यूटी होती है, उसका निष्पादन ही नहीं करते. लोढ़ा ने कहा कि सेक्रेटरी की प्राइम ड्यूटी मंत्री के आदेशों का पालन करना होना चाहिए. उसमें हम कमी देख रहे हैं.

1952 से लेकर अब तक के विधायकों का ब्यौरा ऑनलाइन - राजस्थान विधानसभा देश की पहली विधानसभा बन गई है, जिसमें 1952 से लेकर अब तक जितने भी विधायक और मंत्री रहे हैं उनकी जानकारियां अब ऑनलाइन मौजूद रहेगी.

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