जयपुर.राजस्थान की सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस के मंत्री और विधायक फिलहाल सियासी अवकाश (MLAs on leave in Rajasthan) पर हैं. मौजूदा आलम यह है कि मंत्री अपने विभागों में भी नहीं जा रहे हैं. वहीं, विधायक अपने क्षेत्र की जनता की जगह मोबाइल और टीवी पर इस बात को जान रहे हैं कि राजस्थान में सियासी संकट पार्ट टू में क्या चल रहा है. ज्यादातर मंत्री-विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है. साथ ही इस्तीफा देने वाले मंत्री-विधायकों को इस बात का भी डर है कि कहीं स्पीकर उनके इस्तीफे को स्वीकार न (MLA in fear after resignation) कर लें. बहरहाल, सियासी संकट का हल जब निकलेगा तब निकलेगा, लेकिन यह बात साफ है कि जिस जनता ने कांग्रेस की सरकार बनवाई थी, अब वो जनता पूरी तरह से ब्यूरोक्रेसी के सहारे है.
हालांकि, इसमें भी रोचक बात यह है कि सियासी नियुक्तियां का दौर धड़ल्ले से जारी है. बावजूद इसके किसी को यह पता नहीं है कि अगले एक महीने में सरकार किसके हवाले होगी? जहां एक ओर बाल आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल (Children Commission Chairperson Sangeeta Beniwal) को अगले 3 साल के लिए फिर से इसी आयोग में चेयरमैन नियुक्त कर दिया गया है तो वहीं, अब लंबित पड़ी सियासी नियुक्तियां भी शुरू हो गई हैं. इस बीच राजस्थान मेला प्राधिकरण के उपाध्यक्ष रमेश बोराणा को राज्यमंत्री का दर्जा दे दिया गया है. वहीं, ज्यादातर उपाध्यक्षों की यही मांग भी रही है कि उन्हें सरकार की ओर से उपाध्यक्ष बनाकर सैलरी तो दी जा रही है, लेकिन उनके पास कोई अधिकार नहीं है. खैर, मौजूदा परिस्थितियों के बीच अब उपाध्यक्ष को नई जिम्मेदारियां सौंपी जा रही है. जिसको लेकर सूबे की सियासी गलियारों चर्चा तेज है.