जयपुर.विधानसभा में प्रदेश के पूर्व स्पीकर और सबसे वरिष्ठ विधायक कैलाश मेघवाल ने प्रदेश में आदिवासियों के साथ हो रहे अत्याचार के साथ ही उन्हें अधिकार देने की वकालत की. मेघवाल ने कहा कि दक्षिण राजस्थान से भील स्थान की मांग उठ रही है. यह मांग राजस्थान को खंडित करने वाली है, जिसकी पहुंच राजस्थान विधानसभा तक भी हो चुकी है. मेघवाल ने कहा कि हमें इसे लेकर गंभीरता से विचार करना चाहिए कि ऐसी मांग क्यों उठी और हरा-भरा और रंग रंगीला राजस्थान का एक हिस्सा हमसे अलग क्यों होना चाहता है? ऐसे में इस पर गंभीरता से विचार करते हुए ऐसी नीतियां बनानी चाहिए, जिससे कि आदिवासी वर्गों में संतोष की स्थिति पैदा हो. उन्होंने कहा कि बंगाल में नक्सलवाद से कितना खून खराबा हुआ. यह किसी से छिपा नहीं और दक्षिण राजस्थान में भी नक्सलवाद के बीज पहुंच चुके हैं. आदिवासियों में असंतोष बढ़ गया है, जिससे वहां माओवाद भी बढ़ गया है.
राजस्थान में हो जातिगत जनगणना: कैलाश मेघवाल ने कहा कि दक्षिण राजस्थान विशेष शेड्यूल एरिया कहा जाता है और 8 जिलों में आदिवासी रहते हैं. वहां सर्वे करवा लिया जाए. उस सर्वे में साफ हो जाएगा कि हम आदिवासियों को स्थाई रोजगार नहीं दे पा सके. उन्होंने कहा कि आदिवासी कोई जाति नहीं है. इसकी 12 जातियां हैं, जिन्हें 1950 में नोटिफाई किया गया और इनकी उपजातियां 41 हैं. जिनके रहन-सहन, उठने-बैठने, सांस्कृतिक और सामाजिक पैटर्न अलग-अलग हैं. ऐसे में एक पैटर्न अपनाकर इनका फायदा नहीं हो सकता.
पढ़ें:बीटीपी की भील प्रदेश की मांग पर बीजेपी की निंदा, कहा- जनजाति वर्ग को तोड़ने की साजिश
उन्होंने कहा कि इन 8 जिलों में यह देखा जाए कि कितने आईएएस, आईएफएस, आईपीएस और राज्य सेवा में अधिकारी हैं. उससे हर किसी को आदिवासियों की स्थिति का पता चल जाएगा. कैलाश मेघवाल ने राजस्थान में बिहार की तर्ज पर जातिगत जनगणना की मांग करते हुए कहा कि इन सभी 12 जातियों की जनगणना की जाए और उस जनगणना के आधार पर इसकी संख्या कितनी है. उनमें राज्य का हित और राज्य का लाभ बांटा जाए.