जयपुर. पूर्व मंत्री व विधायक हरीश चौधरी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर केंद्रीय सेवाओं के तर्ज पर और उच्चतम न्यायालय के निर्णय के अनुरूप राजस्थान में जनसंख्या के अनुपातनुसार ओबीसी वर्ग का आरक्षण 21 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत किए जाने की मांग की है.
अखिल भारतीय कांग्रेस के पंजाब प्रभारी व बायतु विधायक हरीश चौधरी ने सोमवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर बताया कि राजस्थान में ओबीसी वर्ग की जनसंख्या लगभग 50 प्रतिशत से भी ज्यादा है और राज्य सरकार की सेवाओं में ओबीसी वर्ग का आरक्षण केवल 21 प्रतिशत ही है. इसमें भी विभिन्न विसंगतियों के कारण यह प्रतिशत और कम हो जाता है.
पढ़ें. Harish Chaudhary Big Statement : मंत्री हेमाराम चौधरी कैबिनेट से इस्तीफा दे रहे थे, मैंने रोका...
मंडल कमीशन की सिफारिश पर केंद्र सरकार की ओर से 1992 में अन्य पिछड़ा वर्ग को सरकारी सेवाओं में 27 प्रतिशत आरक्षण दिया था. इसके अनुरूप राज्य में भी अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देना था परन्तु 1992 में इंद्रा साहनी अन्य बनाम भारत संघ के मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय की 9 न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ के निर्णय में आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत तक की बाध्यता रखी गई थी.
चौधरी ने बताया कि 2019 में 103 वें संविधान संशोधन के तहत आर्थिक पिछड़ा वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण देते समय अधिकतम आरक्षण की बाध्यता समाप्त हो गई, जिसे उच्चतम न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ की ओर से 07 नवंबर 2022 को वैध करार दिया गया. ये बाध्यता समाप्त होने के पश्चात छत्तीसगढ़, झारखण्ड एवं तमिलनाडु के साथ मध्यप्रदेश में भी जनसंख्या को आधार मानकर ओबीसी वर्ग के आरक्षण को बढ़ाया गया है.
हरीश चौधरी ने निवेदन किया कि केंद्रीय सेवाओं के तर्ज पर और उच्चतम न्यायालय के निर्णय के अनुरूप राजस्थान में भी जनसंख्या के अनुपातनुसार ओबीसी वर्ग का आरक्षण सरकारी सेवाओं एंव शिक्षण संस्थानों में 21 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत किया जाए ताकि इस वर्ग के साथ न्याय हो सके.