कर्मचारी महासंघ के प्रदेशध्यक्ष ने क्या कहा... जयपुर. राजधानी जयपुर में चल रहा राजस्थान राज्य मंत्रालयिक कर्मचारी महासंघ का महापड़ाव गुरुवार को भी जारी है. प्रदेश के 50 हजार से ज्यादा मंत्रालयिक कर्मचारी के हड़ताल का असर सरकार के महंगाई राहत कैंप पर भी पड़ रहा है. 11 दिन से महापड़ाव पर बैठे मंत्रलयिक कर्मचारियों की मांगों को लेकर अब जनप्रतिनिधियों ने भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है.
जनप्रतिनिधियों ने लिखा पत्र :प्रदेश में मंत्रालयिक कर्मचारियों का आंदोलन चल रहा है. 10 अप्रैल से प्रदेश के 50 हजार से ज्यादा मंत्रालयिक कर्मचारी अवकाश पर हैं. वहीं, 17 अप्रैल से राजधानी जयपुर में महापड़ाव डाले हुए हैं. मंत्रालयिक कर्मचारियों के आंदोलन को देखते हुए पक्ष-विपक्ष के जनप्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर न्याय संगत मांग को पूरा करने का आग्रह किया है. पत्र लिखने वालों में पूर्व कैबिनेट मंत्री और बायतु से विधायक हरीश चौधरी, विधायक मदन प्रजापत, कन्हैया लाल चौधरी, सुखबीर सिंह जोजावर, मंत्री हेमाराम चौधरी सहित 50 से ज्यादा जनप्रतिनिधि के नाम शामिल हैं.
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महंगाई राहत कैंप पर असर :प्रदेश में महंगाई राहत कैंप का आगाज तो हो गया, लेकिन राजस्थान राज्य मंत्रालयिक कर्मचारियों की हड़ताल के बीच इसकी सफलता पर संकट खड़ा होता हुआ दिख रहा है. महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष राज सिंह चौधरी ने बताया कि प्रदेश की गहलोत सरकार आम आदमी को राहत देने के लिए महंगाई राहत कैंप लगा रही है, लेकिन इन कैंपों को सफल बनाने वाले मंत्रालयिक कर्मचारी पिछले 11 दिन से राजधानी जयपुर में अपनी मांगों को लेकर महापड़ाव डाले हुए हैं. सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं कर रही है. चौधरी ने कहा कि सरकार जब तक उनकी मांगें मान नहीं लेती, तब तक उनका हड़ताल जारी रहेगा.
33 जिलों में 50 से ज्यादा विभागों का काम ठप :चौधरी ने कहा कि प्रदेश के 33 जिलों और सभी उपखंड मुख्यालयों सहित जयपुर के 50 विभागों के मंत्रालयिक कर्मचारी महापड़ाव में शामिल हैं. इनमें सभी जिला कलेक्टर कार्यालय, उपखंड कार्यालय, पंचायती राज विभाग के सभी पंचायत समितियों सहित सभी राजस्व विभाग के मंत्रालयिक कर्मचारी शामिल हो रहे हैं. चौधरी का आरोप है कि मंत्रालयिक कर्मचारी पिछले 30 वर्षों से भी अधिक समय से अपने समकक्ष संवर्गों के समान वेतनमान की मांग करता आ रहे हैं, लेकिन सरकार इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही. अब मजबूर होकर ये कदम उठाना पड़ा.
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ये है प्रमुख मांग
1. पदोन्नति के प्रथम पद वरिष्ठ सहायक की ग्रेड-पे समकक्ष अन्य कैडर यथा ग्राम विकास अधिकारी, कृषि पर्यवेक्षक के अनुरूप 2800 के स्थान पर 3600 की जाए. तदनुसार सहायक प्रशासनिक अधिकारी की ग्रेड पे 4200 अतिरिक्त प्रशासनिक अधिकारी (राजपत्रित अधिकारी) की ग्रेड-पे 7600 की जाए.
2. अधीनस्थ मंत्रालयिक संवर्ग में संस्थापन के पश्चात 7वां नवीन पद ग्रेड-पे 8700 का मुख्य संस्थापन अधिकारी के पदनाम से सृजित किया जाए, ऐसी पदोन्नति की व्यवस्था समान कैडर में उपलब्ध है.
3.वर्ष 2013 में किए गए प्रारम्भिक वेतन 9840 /- को पुर्नस्थापित कर सातवें वेतन आयोग में तदनुसार मूल वेतन 25500/- निर्धारण संबंधी आदेश जारी किया जाए.
4.समकक्ष अन्य कैडर यथा ग्राम विकास अधिकारी कृषि पर्यवेक्षक, पटवारी के अनुरूप अधीनस्थ विभागों पंचायती राज संस्थाओं/निगमों में कनिष्ठ सहायक की योग्यता स्नातक की जाए.
5. राज्य एवं अधीनस्थ सेवाओं में मंत्रालयिक संवर्ग के लिए 25 प्रतिशत पदोन्नति का कोटा तथा भर्ती में 12.50 प्रतिशत कोटा निर्धारित की जाए.
6. अंतर जिला स्थानान्तरण की कार्रवाई प्रारम्भ की जाए.