जयपुर.लालसोट विधायक परसादी लाल मीणा ने अपने दौसा दौरे पर पार्टी आलाकमान की गाइडलाइन के उलट बयान देने वाले नेताओं को लेकर बड़ी बात कही. उन्होंने इन बयानवीरों के बयानों का उद्देश्य समझाया (controversial Remarks in Congress). मीणा ने कहा कि जो लोग कांग्रेस में नहीं रहना चाहते हैं, वही लोग फिलहाल स्टेटमेंट दे रहे हैं. अगर आलाकमान ने कोई निर्देश जारी करते हुए बयान देने पर रोक लगा दी है, तो फिर बाकी नेताओं को भी इसकी अहमियत समझनी होगी.
ACR पर परसादी:अपने मातहत अफसरों और महकमे में अधिकारियों की ACR के मामले पर भी परसादी लाल मीणा ने अपनी बात रखी (Controversy Over ACR). उन्होंने कहा कि वह भी अपने महकमे में अफसरों की ACR भर रहे हैं. पिछले 3 कार्यकाल में उन्होंने लगातार अपने विभाग में काम कर रहे अफसरों की एसीआर भरी है और उन्हें किसी अधिकारी से कोई परेशानी नहीं हुई है.
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ब्यूरोक्रेसी से शिकायत नहीं:नौकरशाही को लेकर तमाम नेता मुखर हैं. मंत्री से लेकर संतरी तक सब तरह तरह के सवाल उठा रहे हैं. मंत्री परसादी लाल मीणा भी बोले. उनकी मानें तो उन्हें कोई शिकायत नहीं है. उन्होंने कहा कि तीन सरकारों में मंत्री रह चुके हैं और अपने तीनों कार्यकाल में उन्हें किसी भी अफसर या सचिव से कोई परेशानी नहीं हुई है.
दरअसल, बीते दिनों खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास की तरफ से अफसरों की ACR भरे जाने को लेकर एक बयान आया था, जिसके जवाब में पीएचईडी मंत्री महेश जोशी ने प्रताप सिंह ने प्रेस वार्ता की, उन्होंने अपने मन की बात कही. बयानबाजी के इस कुंड में कइयों ने बयानों की आहुति डाली. बेलगाम नौकरशाही को लेकर विधायकों ने भी सवाल खड़े किए थे. राजेंद्र सिंह गुढ़ा और दिव्या मदेरणा ने भी इस मसले पर लगातार बयान देकर मामले को गरमाए रखा.
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मीणा ने बताया असल 'मकसद':परसादी लाल मीणा ने संगठन महासचिव के. सी. वेणुगोपाल के लिखित निर्देशों का हवाला दिया. बोले- अगर कोई नेता के. सी. वेणुगोपाल भी निर्देशों की अवहेलना करते हुए भी बार-बार बयान दे रहे हैं, तो इसके मायने यही है कि वह नेता कांग्रेस में नहीं रहना चाहते हैं. परसादी लाल मीणा ने कहा कि यह मामला काफी गंभीर है और इसे नेताओं को समझना चाहिए.
गौरतलब है कि सितंबर में राजस्थान कांग्रेस में बगावत के बीच विधायक दल की बैठक से अलग एक बैठक का संसदीय कार्य मंत्री के घर पर आयोजित किया जाना पार्टी के अंदर विवाद का विषय बन गया था. इसके बाद राजस्थान कांग्रेस के नेताओं के बीच एक दूसरे पर छींटाकशी का दौर भी चला. जिसे देखते हुए कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने लिखित में आदेश जारी करते हुए बयानबाजी पर तत्काल रोक लगाने की बात कही थी. बीते दिनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी कहा था कि बार-बार बयानबाजी पार्टी लाइन से अलग जाकर बगावत का संकेत देती है.